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शनिवार, 28 मई 2011

नेहरू पार्क को अतिक्रमण से मुक्त करवाने की मांग

लाडनूं (कलम कला न्यूज)। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता महेशप्रकाश सांखला ने तहसीलदार सत्यनारायण शर्मा व अधिशाषी अधिकारी जस्साराम गोदारा को पत्र लिखकर जिला कलेक्टर के आदेशों की पालना करने तथा अपनी कार्यवाही पूर्ण कर शीघ्र रिपोर्ट भिजवाने बाबत मांग की है। सांखला ने अपने पत्र में लिखा है कि राजकीय भूमि व सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण कर अनधिकृत रूप से निर्मित धार्मिक पूजास्थलों के सम्बंध में राज्य सरकार द्वारा जारी नीति के अनुसार तुरन्त कार्यवाही की जावे। इस सम्बंध में बताया गया है कि राजस्थान उच्च न्यायालय की एसबी सिविल रिट पिटीशन सं. 2145/2010 एवं उच्चतम न्यायालय की विशेष अनुमति अपील (दीवानी) सं. 8519/2006 में अन्तरिम आदेश दिनांक 29-09-09 की पालना में उन्हें निर्देशित किया गया है, इसके बावजूद प्रकरण में कार्यवाही लम्बित रखी जा रही है। सांखला ने जिला कलेक्टर के पत्र क्रमांक- एफ.12()राजस्व/2010/3880-3888 दिनांक- 19-05-11, क्र. 11878-11897 दिनांक-01-12- 2010, क्र. 13754-13773 दिनांक- 30-12-2010, क्र. 2338-2357 दिनांक- 29-03-2011 एवं क्र. न्याय/2010/9616-46 दिनांक- 10-11-2010 व क्र. 09/6864 दिनांक-28-10-09 का अपने पत्र में हवाला दिया है, जिनकी स्थानीय अधिकारियों द्वारा कोई पालना नहीं की जा रही है।
सांखला ने मांग की है कि नेहरू पार्क परिसर, लाडनूं को अतिक्रमण से मुक्त करावें। आवंटित भूमि खसरा नं. 497 सरहद लाडनूं को जिला कलेक्टर नागौर द्वारा पत्र क्रं. राजस्व राजस्व/86/903 दिनांक- 03-03-1986 द्वारा 30 वर्षों की लीज पर निशुल्क आवंटित किया गया था, परन्तु इसमें लीज शर्तों व नियमों का उल्लंघन किया गया है। यहां निर्मित भवनों के लिए स्थानीय निकायों से निर्माण सम्बंधी आवश्यक स्वीकृति प्राप्त नहीं की गई और न कृषि भूमि के रूपान्तरण की कार्यवाही ही की गई। सांखला ने इस सम्बंध में उपखण्ड अधिकारी कार्यालय से जारी पत्र क्रमांक- सीएम/रीडर/08/42 दिनांक- 03-10-2008, क्र. सीएम/रीडर/08/1623 दिनांक- 04-11-2008, क्र. राज्यपाल सचिवालय/08/1781 व 1782 दिनांक- 16-10-2008 के सम्बंध में कार्यवाही नहीं की जाना बताते हुए तुरन्त कार्यवाही की मांग की है। उन्होंने तहसीलदार कार्यालय से जारी पत्रांक- भू.अ./2011/11/768 दिनांक- 07-04-2011 मेंसंलग्र की गई अतिक्रमियों की सूची के अनुसार अतिक्रमणों को हटाने व समस्त अनधिकृत रूप से बने मकानों को सरकारी तहबील में लेने की मांग भी की है।
इस सम्बंध में अनावश्यक विलम्ब करने, सभा-संस्थाओं के प्रभाव में आकर कत्र्तव्यनिष्ठा में विफल रहने, अपूर्ण सूचनाओं को अग्रेषित करने, रिकार्ड व पत्रावलियों को बिना देखे ही सूचनाएं भिजवाई जाने को गम्भीर व लापरवाही मानते हुए उच्चाधिकारियों व न्यायालय में वाद प्रस्तुत करने की चेतावनी भी दी है।

धड़ल्ले से हुआ बाल विवाह : धरी रह गई शिकायत

लाडनूं (कलम कला न्यूज)। प्रथमदृष्टया नाबालिग एवं विवाह के अयोग्य साबित हो जाने के बावजूद पुलिस व प्रशासन ने केवल लाचारगी ही नहीं दर्शाई बल्कि बाल विवाह को सम्पन्न करवाने में सहायक की भूमिका भी निभाई। स्थानीय तेली रोड़ पर गली नं. 27 के रहवासी मोहम्मद सलाम सिलावट की पुत्री साबिया बानो की शादी 15 मई को बीदासर के मो. वहीद पुत्र हाजी मो. बल्खी के साथ तय की, जिसकी शिकायत मो. रफीक सौरगर ने पुख्ता सबूतों के साथ उपखण्ड मजिस्ट्रेट के समक्ष करके बताया कि साबिया बानो नाबालिग है व विवाह के लिए योग्य आयु प्राप्त नहीं है। शिकायतकर्ता रपुीक ने अपनी शिकायत के साथ साबिया का जन्मतिथि प्रमाण पत्र, जो नगर पालिका से जारी था, तथा भारत के विदेश विभाग व दूतावास सहिम मस्कत सरकार द्वारा भी प्रमाणित थे। साबिया के पासपोर्ट की प्रति भी पेश की, जिससे वो मस्कट की विदेश यात्रा कर चुकी तथा मस्कट की अदालत में भी ये सभी दस्तावेजात प्रस्तुत किए जा चुके।
धड़ल्ले से भरा गया मायरा
उपखण्ड अधिकारी के पास शिकायत पहुंचने और लड़की के पिता को पाबंद करने के बावजूद इस विवाह ाके आयोजकों को राजनैतिक व अन्य समर्थन मिला,तथा उन्होंने अपने लाडनूं के मायरदारों से सार्वजनिक तौर पर मायरा लिया तथा पुलिस व प्रशासन को बालविवाह हर हाल करने की चेतावनी दे डाली।
शिकायतकर्ता को धमकाया व दबाया
इस शिकायत पर हालांकि उपखण्ड अधिकारी ने पुलिस व तहसीलदार को पाबंद किया, परन्तु दूसरी तरफ राजनैतिक, आर्थिक और अन्य दृष्टियों से दबाव डालकर अपने वैवाहिक आयोजन को हर हाल करने पर उतारू सलाम ने अनेक लोगों का सहारा लिया और शिकायतकर्ता को बुरी तरह डराया-धमकाया और उसे शिकायत वापस लेने के लिए मजबूर तक किया, लेकिन जो बालविवाह की जानकारी एक बार प्रशासन की जानकारी में आ गई, उसे वापस दबा पाना मुश्किल होता है, और प्रशासन दवाब में आने के बावजूद खानापूर्ति कर फाईल को बंद करना तो आवश्यक समझता ही है।
निकाला मेडिकल जांच का रास्ता
जिस पिता ने मस्कत देश में बेटी के मुकदमें में उसकी उम्र के लिए जिस जन्म प्रमाण पत्र और पासपोर्ट का सहारा लिया, उसी ने उसे पूरी तरह झुठलाते हुए अपनी पुत्री की वास्तविक आयु 16 साल की जगह 19 साल बताते हुए पुलिस व प्रशासन की सलाह पर मेडिकल जांच करवाने का प्रस्ताव रखा। मेडिकल जांच में चिकित्सक ने न तो किसी हड्डी रोग विशेषज्ञ की सलाह लेना उचित समझा और न स्त्री रोग विशेषज्ञ या डेझिटस्ट की सलाह ही ली, जो इस तरह के प्रकरण में मायने रखती है। आखिर यह तो मिलीभगत पूर्वक खानापूर्ति करने का मामला जो ठहरा, इसलिए आनन-फानन में मेडिकल प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया , ताकि बाल विवाह में कोई अड़चन न पैदा हो। जब प्रशासन व पुलिस सहायक बन जावे तो कौन बाधा पैदा करेगा। मेडिकल रिपोर्ट को देखा जावे तो वह पमरी तरह प्रायोजित की प्रतीत होती है, जिसमें लड़की की आयु का निर्धारण करने में सारी खानापूर्तियां मात्र ही की गई। अगर कोई निष्पक्ष मेडिकल बोर्ड बैठाकर यह जांच अब भी की जावे तो यह रिपोर्ट पूरी तरह झूठ निकल सकती है।
कौन जिम्मेदार है इस बाल विवाह का?
राज्य सरकार ने आदेश निकाल कर उपखण्ड कार्यालयों पर बाल विवाह नियन्त्रण केन्द्र स्थपित करवाए तथा बाल विवाह के लिए एसडीओ को जिम्मेदार ठहराने की घोषणा की, पर यहां सभी आदेशों की खुली धज्जियां उड़ी, और सब देखते रहे, आखिर कहा जाता है कि समरथ को नहीं दोष गुसांईं।
नियमानुसार जिस काजी ने इस बाल विवाह की निकाह पढाई, जिस हलवाई ने बारातियों या वैवाहिक भोज के लिए खाना बनाया और जितने लोग वर व वधु पक्ष के इस शादी में शामिल हुए , गवाह बने वे सभी बराबर के मुलजिम होने चाहिए, पर वो तो तब ना जब प्रशासन इसके लिए कार्रवाई करने की इच्छा रखे।
खड़े रह गए सवाल
बाल विवाह तो सम्पन्न हो गया, परन्तु अनेक सवाल खड़े रह गए। इस मामले में पूरी जांच करने में प्रशासन ने पूरी कोताही बरती है।
-क्या जिस जन्म प्रमाण पत्र को उपखण्ड अधिकारी के समक्ष शपथ पत्र देकर बनवाया गया तथा उसके लिए एसडीओ की अनुज्ञा ली गई हो, वो झूठा हो सकता है?
- अगर वो झूठा है तो लड़की के परिजनों के विरूद्ध झूठा शपथ पत्र प्रस्तुत करने का मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
- पासपोर्ट को लड़की अवयस्कता में उसके अभिभावक ने बनवाया, उसके समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किए, क्या वो झूठे है? अगर गलत हैं तो उनके लिए मुकदमा क्यों नहीं चलाया जावे?
-मस्कत की अदालत में जिन दस्तावेजों का उसके पिता ने उम्र को साबित करने के लिए किया, क्या वो भी झूठे साबित किए जा सकते हैं?
- क्या पर्याप्त दस्तावेजी साक्ष्यों को नकार कर केवल अन्दाजन आयु का अनुमान बताने वाले डाक्टर के प्रमाण पत्र को सही माना जाना जायज कहा जा सकता है?
और भी अनेक सवाल हैं, पर जहां कानून को ताक पर रख दिया जावे तो वहां ये बातें नक्कारखाने में तूती की आवाज है।

डेगाना तक हो रानीखेत एक्सप्रेस

लाडनूं (कलम कला न्यूज)। सजग नागरिक मोर्चा ने रानीखेत से रतनगढ तक चलने वाली एक्सप्रेस ट्रेन को बढाकर डेगाना तक करने की मांग की है। मोर्चा के अध्यक्ष जगदीश यायावर ने रेलमंत्री सहित महाप्रबंधक उत्तर रेलवे, चैयरमेन रेलवे बोर्ड, महाप्रबंधक उत्तर पश्चिम रेलवे एवं सभी सम्बंधित रेलवे अधिकारियों व सांसदों को पत्र लिखकर बताया है कि यह गाड़ी रतनगढ सुबह 11 बजे आती है और शाम 4 बजे वापस रानीखेत के लिए रवाना होती है। इस बीच के 5 घंटों के समय को डेगाना तक गाड़ी को बढाकर उपयोग में लिया जा सकता है। इससे इस क्षेत्र के लोगों, प्रवासियों, व्यापारियों और अन्य लोगों को भी लाभ मिल सकेगा तथा दिल्ली तक सीधा साधन उपलब्ध हो जाएगा। पत्र में बताया गया है कि सुजानगढ, लाडनूं, डीडवाना आदि से बड़ी तादाद में लोग दिल्ली, आसाम, बंगाल आदि विभिन्न क्षेत्रों में रहते हैं। रानीखेत एक्सप्रेस को डेगाना तक बढाए जाने से उन सबको इस ट्रेन से आवागमन का साधन उपलब्ध होने के साथ ही रेलवे को भारी राजस्व स्रोत मिलेगा।

शुक्रवार, 13 मई 2011

सेन समाज ने किया एकता का प्रदर्शन-- सामूहिक रूप से मनाई सेन जयंती: शोभायात्रा निकाली

लाडनूं (जीतमल टाक)। स्थानीय सेन समाज द्वारा पहली बार सेन जयन्ती के अवसर पर पूर्वी तरफ बसे और पश्चिमी तरफ बसे दोनों की तरफ से सामूहिक रूप से विशाल आयोजन किया गया। इस अवसर पर हालांकि सेन बगीची व सेन मंदिर दोनों में अलग-अलग हवन व पूजा-पाठ का आयोजन किया गया, लेकिन सेन मंदिर से सेन बगीची तक शहर के विभिन्न मार्गों से निकाली गई शोभायात्रा ने समूचे शहर को सेन समाज की एकता का परिचय दिया। इस अवसर पर भक्त शिरोमणि सेन महाराज की विशाल फोटो के साथ विभिन्न झांकियों, मोटर साईकिल रैली, नगाड़ा-निशान व बैंड-बाजों के साथ समाज के बड़ी संख्या में महिला-पुरूषों ने गाते व नारे लगाते शरीक होकर यात्रा की शोभा बढाई। सेन मंदिर में यज्ञ में यजमान के रूप में लालचंद सेन बैठे व सेन बगीची में हुए यज्ञ में भंवरलाल निर्वाण, राजकुमार निर्वाण, विजयकुमार टोकसिया, सुमेरमल मोयल व सज्जन कुमार मोयल यजमान बने। सभी आयोजनों में सेन मंदिर के मंत्री कुन्दनमल टाक, मांगीलाल सोनगरा, अमरचंद टाक, जीतमल टाक, नथमल फूलभाटी, बद्रीलाल फूलभाटी, केशरीचंद टाक, गिरधारीलाल सेन, पोकरमल निर्वाण, ललित वर्मा, लूणकरण फूलभाटी, रामेश्वर सेन, गणेशमल सोनगरा, जगदीश सेन आदि प्रमुख लोगों ने आगे आकर सफल बनाया। इस दिन सभी सेन समाज के लोगों ने अपनी अपनी दुकानें व प्रतिष्ठान बंद रखकर सेन जयंती में एकता की भावना को बल दिया।

शहर मंडल में प्रवीण जोशी व ताजू खां बने महामंत्री

लाडनूं (कलम कला न्यूज)। भारतीय जनता पार्टी की शहर मंडल अध्यक्ष मुरलीधर सोनी ने भी प्रतीक्षित अपनी टीम की घोषणा कर दी है। शहर मंडल की कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष पद पर श्रीमती निर्मला जांगिड़, पूनमचंद टाक, सुखदेव सिंह, लादूराम गुर्जर, श्रीमती गायत्री देवी शर्मा व अली अकबर रिजवी को मनोनीत किया गया है। महामंत्री के रूप में प्रवीण कुमार जोशी व ताजू खां मोयल को नियुक्ति दी गई है। मंत्री पद पर रूगाराम मौर्य, नानूराम चिंडालिया, भंवरू खां टाक, श्रीमती परमेश्वरी देवी राठी, श्रीमती सुशीला दूगड़ व श्रीमती दर्शन देवी सेन को लिया गया है। कोषाध्यक्ष फूलचंद जालान को बनाया गया है। कार्यकारिणी में अंतरंग सदस्यों के रूप में कु. एलिजा पीपावत, श्रीमती सुमित्रा आर्य, श्रीमती जुबेदा खान, श्रीमती किस्तूरी देवी सोनी, श्रीमती मुजू देवी जालान, श्रीमती शकुन्तला पांडय़ा, श्रीमती मुन्नी देवी चौहान, श्रीमती हौलासी देवी जांगिड़, श्रीमती संतोष देवी ढोली, श्रीमती वन्दना जांगिड़, श्रीमती दिलभर माथुर, श्रीमती रमाकान्ता शर्मा, श्रीमती मंजूदेवी सोनी, श्रीमती रूकमणी देवी पारीक, भीकमचंद बैद, द्वारका प्रसाद शर्मा, नारायणसिंह चौहान, महेन्द्रकुमार अग्रवाल, दानाराम जांगिड़, मोहनलाल वर्मा, मनीर खां, भैराराम माली, ओमप्रकाश सोनी, गंगाराम रेगर, शौकतअली सिलावट, ललित कुमार वर्मा, गुलाबचंद चौहान, फतूखां मलवाण, नन्दकिशोर वर्मा, जगदीश प्रसाद दौलावत, सुभाष टेलर, मदनगोपाल शर्मा, गोविन्दसिंह जोधा, जगदीश प्रसाद माहेश्वरी, ओमप्रकाश प्रजापत, रामेश्वरलाल सांखला, अनवर सोरगर, मईनुदीन पडि़हार, सुरेश कुमार जडिय़ा, प्रेमप्रकाश प्रजापत, बजरंगलाल पारीक, ताराचंद वर्मा, दीन मोहम्मद सोलंकी व लालचंद सोनी को शामिल किया गया है।
कार्यकारिणी में अन्य आमंत्रित सदस्यों के रूप में पूर्व विधायक मनोहरसिंह, पूर्वअध्यक्ष गोविन्दचंद माथुर, उमेश पीपावत, श्रीचंद पारीक व हनुमानमल जांगिड़, पालिकाध्यक्ष बच्छराज नाहटा, उपाध्यक्ष याकूब शेख, पूर्व पालिकाध्यक्ष गुलाबरानी भोजक स्थाई आमंत्रित सदस्य व पार्षद छत्तरसिंह, अदरीश खां, बीरबल स्वामी, हनुमानमल जोशी, भंवरलाल प्रजापत, दीपक चौरडिय़ा, कल्याण सिंह चौहान, फैजूखां, नेमाराम भानावत, बिदाम व्यौपारी व श्रीमती आचूकी बानो को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में रखा गया है।

भाजपा की कार्यकारिणी घोषित-- तनसुख शर्मा व लादूसिंह बने ग्रामीण मंडल के महामंत्री

लाडनूं (कलम कला न्यूज)। लम्बे समय से प्रतीक्षित भारतीय जनता पार्टी की ग्रामीण व शहर मंडल की कार्य कारिणियां जिलाध्यक्ष हरीश कुमावत के निर्देशानुसार घोषित कर दी गई है। ग्रामीण मंडल अध्यक्ष नाथूराम कालेरा की कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष के रूप में इन्द्रसिंह रावणा राजपूत, राजकंवर राठौड़, डालूराम मेघवाल, रामप्यारी गूजर, भंवरलाल सैनी व नीलिमा गौड़ को उपाध्यक्ष के रूप में शामिल किया गया है। महामंत्री पद तनसुख शर्मा जैसलाण व लादूसिंह राठौड़ धूडि़ला को दिया गया है। मंत्री के रूप में रामूराम मेघवाल, प्रेमदास स्वामी, भवानीसिंह राठौड़, उच्छब कंवर, सुप्यार कंवर व हनीफ टाईगर को लिया गया है। कोषाध्यक्ष पद का दायित्व हनुमान प्रसाद शर्मा ध्यावा को सौम्पा गया है। कार्यकारिणी में अंतरंग सदस्यों के रूप में पूर्णसिंह राठौड़ खानपुर, पन्नालाल गुर्जर जसवंतगढ,संग्रामसिंह राठौड़ डाबड़ी, रवीन्द्रसिंह राठौड़ कसुम्बी अलीपुर, किरण प्रजापत धोलिया, शिवभगवान पुरोहित लैड़ी, रिछपालसिंह राठौड़ अनेसरिया, रिछपाल शर्मा सारड़ी, खंगाराम चौधरी खींवज, सत्यनारायण शर्मा मीठड़ी, श्रवण धाभाई फिरवासी, सुन्दर देवी प्रजापत रींगण, शिवनारायण घोटिया बाकलिया, मोहनराम बीजारणिया तंवरा, संतोष शर्मा जैसलाण, कीर्ति कंवर राठौड़ हुसैनपुरा, सोहनराम गिंवारिया घिरड़ौदा मीठा, कायम सिंह राठौड़ छपारा, मुकेश जांगिड़ बालसमंद, अमर सिंह सोढा बालसमंद, अर्जुनसिंह शेखावत बाकलिया, नारायणी देवी मेघवाल बाकलिया, उम्मेदसिंह शेखावत मीठड़ी, फेफी मेघवाल सारड़ी, रतनी देवी मेघवाल रोजा, फातमा तेली निम्बी जोधां, कानाराम प्रजापत कसूम्बी, रामेश्वर लाल प्रजापत ध्यावा, ललिता स्वामी छपारा, जुवाना राम प्रजापत बल्दू, प्रताप सिंह राठौड़ कोयल, हेमाराम नायक रताऊ, रामनारायण चोयल सींवा, आसी देवी भाकर सिलनवाद, कालूराम गूजर रोजा, कविता कंवर राठौड़ हुडास, तुलसी देवी गूजर देवरा, हीर सिंह राठौड़ मणूं, प्रभुराम भारी चन्द्राई, किरण देवी सोनी निम्बी जोधां, जुगल किशोर अग्रवाल घिरड़ौदा मीठा, छोटुराम हरिजन निम्बी जोधां व रामकरण शर्मा सिकराली को सम्मिलित किया गया है।
इसके अलावा विशेष आमंत्रित सदस्यों में पूर्व विधायक मनोहरसिंह, पूर्व प्रधान श्रीमती इंद्रमणि दायमा, पूर्व उपप्रधान बजरंगसिंह लाछड़ी, पूर्व अध्यक्ष बजरंगलाल दायमा, प्रेमाराम बीडासरिया, हनुमानाराम कालुराम गेनाणा, श्रीमती ममता बागड़ा, चैनसिंह ओड़ींट, पदमसिंह रोड़ु, ओमप्रकाश बागड़ा, राजेन्द्रसिंह धोलिया, गोविन्दसिंह कसूम्बी, अंजनी सारस्वत, भागीरथ पारीक आदि को शामिल किया गया है।

तीसरी बार बने गोदारा अध्यक्ष व घींटाला कार्यालय मंत्री- शिक्षक संघ शेखावत के चुनाव

लाडनूं (कलम कला न्यूज)। लाडनूं ब्लॉक के सबसे बड़े 700 क्रियाशील सदस्यों वाले शिक्षक संघ शेखावत के चुनाव पर्यवेक्षक नथूराम ईनाणियां व कैलाश कांकड़ की देखरेख में निर्विरोध सम्पन्न हुए। इस अवसर पर जिला उपाध्यक्ष लालाराम बिडिय़ासर भी मौजूद थे। पंचायत समिति सभागार में आयोजित इस बैठक में संरक्षक हरनाथ पूनियां ने कार्यकारिणी की घोषणा की, जिसे सर्वसम्मति से निर्णित करके घोषित किया गया। इसके अनुसार सह संरक्षक घीसाराम चौधरी, अध्यक्ष नानूराम गोदारा गैनाणा, महामंत्री चन्द्राराम मेहरा फिरवासी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सोहन सारण, कोषाध्यक्ष हनुमानराम बुरड़क तिलोटी, सभाध्यक्ष पन्नालाल टाक मंगलपुरा, सह सभाध्यक्ष विजय प्रजापत, उपाध्यक्ष रामप्रताप स्वामी बिठुड़ा, बसंत माली, नसरूद्दीन भाटी, इन्द्र जांगिड़ लाडनूं, रामनिवास, रामावतार, रामनिवास पुरी, विधिमंत्री रामप्रसाद जाखड़ व कार्यालय मंत्री जगदीश प्रसाद घींटाला कसूम्बी जाखला को उबनाया गया है। प्रेरक प्रतिनिधि श्याम पंवार व महिला प्रेरक मंत्री मुजू महला लाछड़ी को नियुक्त किया गया है।
प्रवक्ता नाथूसिंह शेखावत ने बताया कि गोपाल साख बेड़, मदन झूरिया, बालूराम डूडी, भागीरथ पचार, प्रतिभा शर्मा, हनुमानसिंह राजावत, सहदेव मंडा, श्रीराम पावडिय़ा, पदमाराम डोडवानिया, प्रवीण शर्मा, उम्मेदसिंह, राजू बिडिय़ासर, मुस्ताकखां मीठड़ी, भागीरथ मंडा, दीनदयाल ठोलिया मिंडासरी, दलिप सींवा, कालू भूरावत व शहरी उपाध्यक्ष महेन्द्रसिंह राठौड़ सहित दो दर्जन शिक्षकों को जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।

Digambar Jain Bara Mandir Ladnun (Rajasthan)




Location: Digambar Jain Bara Mandir is situated in the heart of Ladnun town, dist. Nagur, Rajasthan. Ladnun town is connected by rail via Delhi-Jodhpur railway rail route. This town is connected by road to most of major cities of Rajasthan. Ladnu is an ancient and historical town.
The Digambar Jain Bara Mandir is a magnificent temple houses several artistic and rare idols of Jain Thirthankara, beautiful images, engraved pillars, rare pieces of art and old jaina dharma manuscripts.
The sixteenth tirthankar Bhagwan Santinath idol is established on the main Vedi. The beautiful and matchless idol of Bhagwan Santnathji is made of marble with a dimension of 94x70 cm. In front of the idol there is a rare piece of artistic door ( Toran-dwar) placed on two marble pillars. On the two pillars, two artful and rare images of godless Sarswati are engraved. There is an inception found on the door which indicate that the temple is build on Ashad Sukla 8, Sanwat 1136. This writing indicate that the temple is more than 1000 years old.
In the second vedica chamber, there is an idol of second Thirthankar Bhagwan Ajitnathji. This idol is 74x60 cm in dimension and made of marble. An inscription found on the the idol written Baisak Sukla 13, Smawat 1209. In front of Baghwan Ajitnathji idol there is also a marble door with two pillars. The two pillars are decorated with artistic Jaina images.

In the art gallary there are 166 marble an idol of Bhwan Risbhadeva made of brown stone, and two idols of Bhagwan Paesvanatn with nine headed serpents.
An beautiful image of Bhagwan Neminathji is also found in the art gallery. Several other images made of metals are found in digging in the nearby areas of Ladnun are placed in this art gallery.
This temple is built and repaired several times but its magnificence, beauty, purity and calmness is preserved through ages.

बुधवार, 11 मई 2011

भारत रत्न का खुला अपमान क्यों?

भारतवर्ष क्रिकेट प्रतियोगिता में विजयी हुआ। यह विजय बहुत संघर्ष के बाद प्राप्त हुई। कप्तान महेन्द्रसिंह धोनी, विराट कोहली, गौतम गम्भीर और युवराज सिंह विशेष बधाई के पात्र हैं।
यदि हम क्रिकेट के कथित भगवान के भरोसे रहते तो कभी नहीं जीत सकते थे। इस विश्व कप प्रतियोगिता में क्रिकेट के भगवान की भूमिका कुछ अच्छी नहीं रही। वह एक शतक भी नहीं बना सके। वस्तुत: जब से मीडिया ने श्रीमान को क्रिकेट का भगवान कहना शुरू कर दिया है, तब से उनकी क्रिकेट में गिरावट आई है। भगवान शब्द बहुत गम्भीर और गूढ अर्थों वाला है। यह धरती के किसी जीवित प्राणी के लिए प्रयोग करना उचित नहीं है। भारत की जनता में यह अक्सर देखा गया है कि वह किसी को भी भगवान कहने लगती है। और यहां तरह-तरह के उपनाम भी दे दिए जाते हैं, जैसे- फिल्मों में बिग-बी, मिस्टर परफैक्ट आदि तथा क्रिकेट में- मास्टर ब्लास्टर तथा मिस्टर भरोसेमंद आदि। ऐसे उपनाम उस व्यक्ति को भ्रमित कर देते हैं, जिसको इनसे पुकारा जाता है। हम व्यक्ति को व्यक्ति ही रहने दें तो अच्छा है। उसे भगवान जैसे विशेषणों से सुशोभित न करें। मीडिया के ही कुछ लोगों ने इस कथित भगवान के लिए भारत रत्न देने की मांग उठाई। भारत रत्न जैसी उपाधि उन व्यक्तियों को दी जाती है, जिन्होंने देश पर अपना तन-मन-धन बलिदान कर दिया। भारत रत्न की उपाधि के वह लोग कदापि अधिकारी नहीं है, जो एक खेल में एक करोड़ रूपये प्राप्त करते हैं। जो देश में करोड़ों रूपये हर साल कमा रहे हैं, उनको भारत रत्न की उपाधि देना कत्तई अनुचित है। और उनकी यह कमाई देश के राजकोष की वृद्धि नहीं करती, वह उद्योगपति भी नहीं है कि वे बेरोजगारों को रोजगार दे सके। वह व्यक्तिगत स्वार्थ में खेलते हैं और धन कमाते हैं। अत: उनके खेल का प्रतिफल उनको प्राप्त हो जाता है। ऐसे व्यक्तियों के लिए भारत रत्न की मांग उठाना भारत रत्न जैसी उपाधि का नहीं बल्कि उन सभी का अपमान है, जिन्हें यह उपाधि उनके बलिदान के कारण दी गई।
अत: हमें ऐसी उपाधियां दिए जाने की मांग करने से पहले सोचना चाहिए। और, वर्तमान में मेरी सलाह है कि क्रिकेट के भगवान अब क्रिकेट से अन्तध्र्यान हो जाएं। क्रिकेट के सम्बंध में वर्तमान परिस्थ्िितयां परिवर्तित हुई हैं। पहले यह खेल के रूप में खेला जाता था, अब यह युद्ध के रूप में खेला जाता है। इसीलिए हेलमेट, मुखौटा आदि पहनने पड़ते हैं।- Hitesh kumar Sharma, Bijnour

बुधवार, 4 मई 2011

नगर पालिका से गायब हो रहे पत्रों को लेकर पार्षद मुखर हुए---- कमेटियों के गठन की स्वीकृति से सम्बंधित डाक हुई गायब

लाडनूं (कलम कला न्यूज)। स्थानीय नगर पालिका में आने वाली डाक को आवक रजिस्टर में दर्ज करने के बजाये उसे पूरी तरह गायब कर दिया जाता है। इसी तरह की हालत के शिकार खुद पालिकाध्यक्ष बच्छराज नाहटा भी हुए, जिनके खुद के नाम की डीएलबी से आई डाक को भी गायब कर दिया गया। उन्होंने जब पार्षदों को इससे अवगत करवाया तो सभी पार्षदों को यह बुरा लगा तथा बोर्ड की गत 29 अप्रेल की बैठक में मुखर होकर पार्षदों ने इस मामले में आवाज उठाई।
क्या था मामला
नगर पालिका मंडल में 31 दिसम्बर की बैठक में समितियों का गठन किया गया, जिसमें अधिशाषी अधिकारी ने 60 दिनों में समितियों का गठन नहीं होने को लेकर आपति दर्ज की, उस पर अध्यक्ष ने बार-बार आदेश दिए जाने के बावजूद ई.ओ. द्वारा बैठक नहीं बुलाकर जानबुझकर देरी करने बाबत प्रति-टिप्पणी दर्ज की। इस कार्यवाही की प्रति नियमानुसार डीएलबी, कलेक्टर, उपनिदेशक अजमेर आदि को भेजी गई। इस के बाद सभी कमेटियों के अध्यक्षों ने ईओ को उनकी समिति की बैठक बुलाने का आग्रह किया, परन्तु बिना डीएलबी की स्वीकृति के बिना बैइक बुलाई जाने से इंकार कर दिया गया। नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा-58(1) के अनुसार दो माह के भीतर समिति की बैठक बुलानी जरूरी है। अधिनियम में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि इसके लिए डीएलबी से पूर्व स्वीकृति ली जावे।
इस सम्बंध में श्रीती सुमित्रा आर्य, जो गंदी बस्ती सुधार समिति की अध्यक्ष हैं, ने 14 पॅरवरी को अधिशाषी अधिकारी को एक पत्र बैठक बुलाने बाबत दिया, जो पालिका के आवक रजिस्टर में क्रमांक 1084 पर दिनांक 14-02-11 को दर्ज है। इस पर कोई कार्यवाही नहीं होने पर उन्होंने अधिनियम की धारा - 58 (3) के तहत समिति के अध्यक्ष द्वारा बैठक बुलाने के प्रावधान का उपयोग अपने अधिकारों के तहत करते हुए 11 मार्च को बैठक बुलाने की सूचना जारी कर दी, जिसे नगर पालिका के आवक रजिस्टर में क्रमांक 1153 दिनांक 01-03-11 पर दर्ज किया गया। इसमें अध्यक्ष ने नियमानुसार बैठक बुलाने के लिए ईओ को पाबंद भी किया, परन्तु इस बैठक की कार्यवाही स्वयं लिखने, किसी अन्य कर्मचारी को नियुक्त कर कार्यवाही लिखवाने व बैठक में स्वयं मौजूद रहने से भी मना कर दिया तथा कहा कि जब तक उनके पास डीएलबी की स्वीकृति नहीं आ जाती, तब तक वे कुछ नहीं करेंगे। वे डीएलबी को रिमाण्डर भेज देंगे, बाद में जो होगा देखेंगे।
क्या था पत्र
इसके बाद डीएलबी से पत्र क्रमांक: प.8 (ड़)()बो.प्र./डी एल बी / 10/ 1022 दिनांक 16-3-11
प्राप्त हुआ, जिसमें स्वायत्त शासन विभाग के शासन उप सचिव ने स्पष्ट आदेश दिया कि नगर पालिका लाडनूं की साधारण सभा की बैठक दिनांक 31.12.10 के प्रस्ताव सं. 02 के सम्बंध में अधिशाषी अधिकारी से प्रापत टिप्पणी को राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 49(4) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार तत्काल प्रभाव से निरस्त करती है। इसके साथ ही अधिशाषी अधिकारी लाडनूं को स्पष्ट निर्देश दिए गए कि मण्डल द्वारा गठित समितियां विधिवत कार्य कर सकेंगी।
इस पत्र की प्रतियां जिला कलेक्टर, उपनिदेशक क्षेत्रीय अजमेर, अध्यक्ष नगरपालिका लाडनूं आदि को भेजी गई। यह पत्र नगर पालिका के रिकार्ड से गायब होगया। अध्यक्ष व अधिशाषी अधिकारी दोनों की डाक को इंद्राज नहीं किया गया।
इसके बाद डीएलबी से पत्र क्रमांक: प.8 (ड़)()बो.प्र./डी एल बी / 10/ 1029 दिनांक 30-3-11 को एक आदेश जारी करके पूर्व समसंख्यक आदेश 1022 दिनांक 16.03.2011 की क्रियान्विति को अग्रिम आदेशों तक स्थगित कर दिया गया। साथ ही ईओ को बोर्ड बैठक दिनांक 31.12.2010 के प्रस्ताव सं. 02 के सम्बंध में सम्पूर्ण रिकॉर्ड लेकर शीघ्र विभाग के पास उपस्थित होने के आदेश दिए।
इस आदेश की प्रति अध्यक्ष को उपलब्ध करवा दी गई, जिससे पूर्व पत्र के आने और गायब होने की पोल खुली। सभी पार्षदों ने इस सम्बंध में बैठक में ईओ से जवाब मांगा तो वे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए तथा यह भी नहीं बताया कि वे रिकार्ड लेकर जयपुर गए या नहीं। पार्षदों ने भविष्य में इस प्रकार डाक गायब नहीं करने की हिदायत अधिशाषी अधिकारी को बैठक में दी।

लोकप्रिय हो रहे हैं कलम कला ग्रुप के इंटरनेट ब्लॉग: नया ब्लॉग तहकीकात अवश्य पढें

पाठक बंधुओं,
ब्लॉग इंटरनेट पर एक खास विधाके रूप में बहुत तेजी से लोकप्रिय हुए हैं। तीव्रता से आगे बढने वाले का सदैव सभी तरफ से स्वागत होता आया है। और यही कारण है कि आज कुछ ही सालों में लाखों की संख्या इस ब्लॉग विधा ने पार कर ली। विशेष बात यह है कि हिन्दी माध्यम के ब्लॉग भारत में सर्वाधिक लोकप्रिय हो पाए हैं। कलम कला ने बर्षों पूर्व अपना एक ब्लॉग इंटरनेट पर उतार दिया था। आज हमारे इस कलम कला ग्रुप के एक दर्जन हिन्दी ब्लॉग इंटरनेट पर मौजूद है। कलम कला के कार्यकारी सम्पादक श्री जगदीश यायावर और मैंने (श्रीमती सुमित्रा आर्य) ने मिलकर इस ब्लॉग विधा पर बहुत कार्य किया, बहुत होम-वर्क किया और घण्टों कम्प्यूटर पर बैठ कर सिर खपाया तथा नई तकनीक के नए-नए प्रयोग किए, तब कहीं जाकर इस ब्लॉग विधा में हमें दक्षता हासिल हुई। हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि आज हमारे द्वारा प्रकाशित ब्लॉग्स देश भर में श्रेष्ठ ब्लॉग के रूप में जाने-पहचाने जाते हैं। इन ब्लॉग में हमने अपनी मातृभूमि, अपने गांव और अपने लोगों को विशेष महत्व दिया है, आज अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ये क्षेत्र अपनी अहमियत बनाए हुए हैं।
हम चाहते हैं कि आप सभी बंधु भी अगर अभी तक हमारे इन ब्लोग से रूबरू नहीं हुए हैं तो कृपया अपने कम्प्यूटर पर गूगल पर सर्च करें या सीधा ही हमारा वेब-एड्रेस टाईप करके हिट करें। ब्लॉग पढें और अपने विचारों से हमें अवश्य अवगत करावें। मैंने हाल ही में एक नया ब्लॉग बनाया है, जो तहकीकात के नाम से है। इसमें आप अपराधों, भ्रष्टाचार आदि का खुलासा आध्ेर जानकारियां पा सकेंगे। भंडाफोड़ करने वाले इस ब्लॉग के हमें विशेष लोकप्रियता हासिल करने की उम्मीद है। कृपया यह वेब एड्रेस नोट करें और खोलें हमारा वेब-ब्लॉग- http://tahkikat.blogspot.com/
- सुमित्रा आर्य, सम्पादक Email- editor.sumitra@gmail.com

पेयजल किल्लत पर महिलाओं का प्रदर्शन सहायक अभियंता ने मौका देखकर दिलाया समाधान का भरोसा



लाडनूं। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में जलदाय विभाग द्वारा की जाने वाली पेयजल की आपूर्ति की स्थिति बदतर होने से लोगों में काफी रोष है। मालियों के मोहल्ले, नाईयों के बास, मगरा बास, सदर बाजार आदि क्षेत्रों में पानी सही समय पर व पूरे प्रेशर के साथ नहीं खोले जाने से नागरिक परेशान है। इस स्थिति के चलते शहर के वार्ड सं. 16 में मालियों के मोहल्ले में बनी पानी की समस्या से त्रस्त लोगों की आवाज उठाते हुए 19 अप्रेल को पार्षद व जिला आयोजना समिति की सदस्य सुमित्रा आर्य के नेतृत्व में दो दर्जन से अधिक महिलाओं ने जलदाय विभाग पहुंचकर सहायक अभियंता कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया व पानी दिए जाने की मांग की। सहायक अभियंता धीरेन्द्र पचौरी एवं अन्य अभियंता हालांकि उस समय कार्यालय में मौजूद नहीं थे। उन्होंनें बाद में कर्मचारियों के साथ मालियों के मोहल्ले में पहुंचकर पेयजल आपूर्ति की स्थिति का आकलन किया। उन्होंने स्वीकार किया कि पाईप लाईन वर्षों पुरानी होने से ब्लॉक हो चुकी जिससे पानी की पूरी आपूर्ति संभव नहीं हो पा रही है। उन्होंने पार्षद सुमित्रा आर्य को विश्वास दिलाया कि शीघ्र ही विभाग के पास पाईप मिलते ही पूरी लाईन बदल दी जाएगी। उन्होंने तब तक दो कर्मचारियों को लगाकर कुछ पाईपों को निकालकर उन्हें साफ कर दूसरी लाईन में जोड़कर पानी की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया।

10 अरब की जिला वार्षिक योजना पारित

नागौर (कलम कला न्यूज)। जिला आयोजना समिति की बैठक में नागौर जिले की वार्षिक योजना पारित की गई। जिला आयोजना समिति की सदस्य श्रीमती सुमित्रा आर्य ने बताया कि वर्ष 2011-12 के लिए विभागीय प्लान सीलिंग (आयोजना बजट प्रावधान) को ध्यान में रखते हुए जिला वार्षिक योजना के प्रस्तावों को अंतिम रूप दिया गया। इसके अन्तर्गत जिले के लिए कुल 984 करोड़ 77 लाख 77 हजार रूपयों के प्रावधान पारित किए गए हैं। इसमें 389 करोड़ 37 लाख 37 हजार रूपये राज्य योजना मद से व 595 करोड़ 40 लाख 40 हजार रूपये केन्द्रीय प्रवर्तित योजना मद से शामिल किए गए हैं। योजना के आकार के अनुसार इसमें सबसे अधिक प्रावधान जिले की ग्रामीण विकास योजनाओं की राशि 455 करोड़ 92 लाख 68 हजार रूपये रखी गई है, जो जिले की कुल वार्षिक योजना का 46.30 प्रतिशत है। इसमें मुख्य रूप से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना पर खर्च किया जाएगा।
श्रीमती आर्य ने बताया कि नागौर जिले की वार्षिक योजना को राज्य सरकार के निर्देशानुसार विकेन्द्रीकृत योजना तैयार करने को ध्यान में रखते हुए 20 विषयों को सम्मिलित किया गया है। इसके तहत कृषि विभाग को 1 करोड़ 82 लाख 61 हजार, उघान (हॉर्टीकल्चर) विभाग को 11 करोड़ 88 लाख 70 हजार, भू-संरक्षण विभाग को 2 करोड़ 20 लाख 85 हजार, पशुपालन विभाग को 84 लाख 58 हजार, मत्स्य विभाग को बिल्कुल नहीं, ऊर्जा विभाग को 56 करोड़ 50 लाख, जलदाय विभाग को 92 करोड़ 45 लाख 76 हजार, शिक्षा विभाग को 36 करोड़ 73 लाख 43 हजार, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को 55 करोड़ 37 लाख 60 हजार, ग्रामीण विकास विभाग को 4 अरब 55 करोड़ 92 लाख 68 हजार, पंचायती राज विभाग को 1 अरब 33 करोड़ 16 लाख 2 हजार, उद्योग विभाग को 73 लाख 85 हजार, सार्वजनिक निर्माण विभाग को 77 करोड़ 96 लाख, महिला एवं बाल विकास विभाग को 38 करोड़ 33 लाख 98 हजार, स्वायत शासन विभाग को 4 करोड़ 93 लाख 41 हजार, वन विकास के लिए 72 लाख 16 हजार, समाज कल्याण विभाग को 14 करोड़ 19 लाख 78 हजार, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग को 60 लाख 74 हजार, जल संसाधन विभाग को 20 लाख एवं पर्यटन विभाग को 15 लाख रूपयों की योजनाएं स्वीकृत की गई है।

अपनी दिशा न भूले मीडिया: निरंकुश न बने लोकप्रिय होती ब्लॉग पत्रकारिता



पत्रकारिता को हमेशा एक आदर्श के रूप में देखा जाता रहा है। जनता की भावनाओं का खुला पृष्ठ होता था पत्रकारिता। मगर आज लगता है स्थितियां बदल गई है। पत्रकारिता जहां प्रिण्ट मीडिया के दायरे से निकल कर रेडियो तक पहुंची तब तक तो सब ठीक था, मगर टीवी चैनलों, इंटरनेट पर वेब-साईट और ब्लॉग पत्रकारिता में घुसे लोगों ने इसे ऐसा आयाम दिया है, जो कतई सुखद नहीं कहा जा सकता। इसमें सुधार लाने के लिए प्रयास किए जाने जरूरी है। हमें निश्चित रूप से पत्रकातिा को स्वस्थ स्वरूप प्रदान करने के लिए पहल करनी चाहिए। इसके लिए पत्रकारिता को बदनाम करने वाली हर हरकत का खुलकर विरोध पत्रकारिता जगत से ही होना जरूरी है। इसके लिए हमें आत्म चिंतन करना चाहिए तथा हर स्थ्िित के बारे में गहराई से सोचना चाहिए।
टीवी पत्रकारिता का सच: ख़बरिया चैनलों में काम कर रहे पत्रकार खुद दुखी हैं। ऐसे पत्रकारों का मानना है कि वे ऐसी स्थिति में हैं कि न तो छोड़ सकते और वहां बने रहना उनके लिए दुश्वार हो गया है। अभिमन्युं की तरह इस पत्रकारिता के चक्रव्यूह में फंसे होने पर उनके प्रति दुख प्रकट किया ही जा सकता है, साथ ही उन्हें अपने व्यवहार में सुधार लाने की सलाह दी जानी भी जरूरी है। हालांकि इन्हीं न्यूज़ चैनलों में कुछ ऐसे पत्रकारों की जमात भी मौजूद है, जो योग्यता के मुकाबले कैसे हैं, यह नहीं कहा जा सकता लेकिन वे न्यूज़ चैनल के मंच का, उसके ग्लैमर का, उसकी पहुंच का इस्तेमाल कर अपनी छवि भी चमकाते हैं और जब भी जहां भी सार्वजनिक तौर पर बोलने का मौक़ा मिलता है, वहां न्यूज़ चैनलों को गरियाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते। उनका यह रूप और चरित्र वास्तविक पत्रकारिता करने वालों को हमेशा परेशान करता है। यह अपने पेशे से एक तरह का छलात्कार है, जो क्षणिक तो मजा देता है, लेकिन पत्रकारिता का बड़ा नुक़सान कर डालता है। ख़ुद की छवि को चमकाने के लिए पत्रकारिता पर सवाल खड़े करने वाले इन पत्रकारों की वजह से दूसरे लोगों को आलोचना का मौक़ा और मंच दोनों मिल जाता है। टीवी मीडिया के उन फंसे अभिमन्युओं को चाहिए कि वे चक्रव्यूह में फंसकर दम तोडऩे के बजाय युद्ध का मैदान छोड़ दें। अगर न्यूज़ चैनलों में उनका दम घुटता है तो वे वहां से तत्काल आज़ाद होकर अपना विरोध प्रकट करें। ऐसे पत्रकार बंधु व्यवस्था का विरोध करना तो दूर की बात, कभी अपनी नाख़ुशी भी नहीं जतापाते। मालिकों के सामने भीगी बिल्ली बने रहने वाले इन पत्रकारों को सार्वजनिक विलाप से बचना चाहिए। यह उनके भी हित में है और पत्रकारिता के हित में भी। किसी भी चीज की स्वस्थ आलोचना हमेशा से स्वागत योग्य है, लेकिन व्यक्तिगत छवि चमकाने के लिए की गई आलोचना निंदनीय है।
बेलगाम होती ब्लॉग पत्रकारिता: ब्लॉग पत्रकारिता का एक नवीनतम आयाम है। ब्लॉग तेजी से अपना वर्चस्व कायम करते जा रहे हैं। ब्लॉग पाठकों की संख्या में बेतहासा ईजाफा इसकी बढती लोकप्रियता को इंगित करता है। हिंदी में ब्लॉग के माध्यम से बड़ा काम हो रहा है। यह बिल्कुल सही बात है कि ब्लॉग और नेट के माध्यम से हिंदी के लिए बड़ा काम हो रहा है, लेकिन कुछ ब्लॉगर और वेबसाइट जिस तरह से बेलगाम होते जा रहे हैं, वह हिंदी भाषा के लिए चिंता की बात है।् ब्लॉग पर जिस तरह से व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने के लिए ऊलजुलूल बातें लिखी जा रही हैं, वह बेहद निराशाजनक है। कई ब्लॉग तो ऐसे हैं,जहां पहले किसी फ र्जी नाम से कोई लेख लिखा जाता है, फि र बेनामी टिप्पणियां छापकर ब्लैकमेलिंग का खेल शुरू होता है। कुछ कमज़ोर लोग इस तरह की ब्लैकमेलिंग के शिकार हो जाते हैं और कुछ ले-देकर अपना पल्ला छुड़ाते हैं। लेकिन जिस तरह से ब्लॉग को ब्लैकमेलिंग और चरित्र हनन का हथियार बनाया जा रहा है, उससे ब्लॉग की आज़ादी और उसके भविष्य को लेकर ख़ासी चिंता होती है। बेलगाम होते ब्लॉग और वेबसाइट पर अगर समय रहते लगाम नहीं लगाई गई तो सरकार को इस दिशा में सोचने के लिए विवश होना पड़ेगा। ब्लॉग एक सशक्त माध्यम है, गाली गलौच और बे सिर-पैर की बातें लिखकर अपने मन की भड़ास निकालने का मंच नहीं।् इस बात पर हिंदी के झंडाबरदारों को गंभीरता से ध्यान देने की ज़रूरत है। ब्लॉग पर चल रहे इस घटिया खेल पर सभी पत्रकार बंधुओं को विरोध करना चाहिए ताकि हिन्दी पत्रकारिता के इस नए आयाम को एक बेहतर वैश्विक प्रस्तुति के रूप में ताकतवर बनाया जा सके। - सुमित्रा आर्य, सम्पादक
email- editor.sumitra@gmail.com

मंगलवार, 3 मई 2011

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