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बुधवार, 4 जनवरी 2012

हंगामे व शोरगुल के बीच हुई पालिका की बैठक

दो बार सदन से बाहर निकले पार्षद बिना एजेन्डा रखे प्रस्ताव पर हुआ विवाद
लाडनूं। नगरपालिका मंडल की साधारण सभा की बैठक भारी हंगामे के बीच सम्पन्न हुई। सदन में निर्धारित प्रस्तावों पर विचार पूर्ण होने से पूर्व ही अन्य मुद्दों पर अध्यक्ष द्वारा चर्चा करवाए जाने को लेकर पार्षदों ने बैठक के दौरान दो बार बैठक का बहिष्कार किया तथा करीब पौन घंटे तक चले हंगामे के बाद दोनों बार फिर से बैठक की कार्रवाई प्रारम्भ की जा सकी। पालिकाध्यक्ष बच्छराज नाहटा की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में गत वर्ष 17 अगस्त व 3 नवम्बर को आयोजित बैठकों की कार्यवाही की पुष्टि की गई। सफाई कर्मचारी चैनरूप का स्थायीकरण सर्वसम्मति से पारित किया गया। निर्माण कार्य की प्राप्त दरों की स्वीकृति के बारे में पार्षद नेमाराम भानावत ने अधिक दरों में टेंडर लिए जाने के कारण पालिका को होने वाली हानि पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सभी टेंडर दुबारा लिए जाने चाहिए। पार्षद सुमित्रा आर्य, अदरीश खां व जगदीश दौलावत ने बताया कि अधिकांशत: ठेकेदारों ने वार्डों में पूरा काम नहीं किया, इसलिए उन ठेकेदारों को अब आईन्दा काम नहीं दिया जाना चाहिए। साथ ही पार्षदों ने चेतावनी दी कि अगर इसी तरह ठेकेदारों ने काम किया तो उनका पूरा विरोध किया जाएगा। इस पर पालिकाध्यक्ष बच्छराज नाहटा ने बताया कि दरों का निगोशियसन किया जा चुका और अन्य कोई ठेकेदार निविदा देने में रूचि नहीं ले रहे हैँ। इसके बाद निविदा दरों को पारित किया गया। भवन निर्माण स्वीकृति सम्बन्धी सदन के समक्ष प्रस्तुत पत्रावलियों पर काफी जद्दोजहद सदन में हुई। अधिशाषी अधिकारी किशनाराम सेंगवा ने सदस्यों को बताया कि इन पत्रावलियों में आवासीय निर्माण सम्बन्धी के अलावा व्यवसायिक परिवर्तन व निर्माण सम्बन्धी पत्रावलियां भी है जिन्हें टाउन प्लानिंग के पास भिजवाया जाना आवश्यक था परन्तु उनके भवन बन गए और फाइलें अभी तक यहीं पड़ी है। सदस्यों के पूछने पर उन्होंने बताया कि 6-7 पत्रावलियां व्यवसायिक निर्माण की है तथा शेष आवासीय है। इस पर पार्षद सुमित्रा आर्य ने कहा कि इनमें से कई पत्रावलियों पर विवाद चल रहे हैं तथा न्यायालय के स्टे ऑर्डर भी है, इसलिए सदन इन्हें पारित नहीं कर सकता। इस पर अधिशाषी अधिकारी ने बताया कि दो फाईलों पर न्यायालय के स्थगन आदेश है, साथ ही उन्होंने बताया कि सन् 2009 से 2012 तक की पत्रावलियां विचाराधीन पड़ी है और उनके भवन बन चुके लेकिन आज तक बोर्ड ने परमिशन नहीं दी। उन्होंने ऐसी पत्रावलियों पर कम्पाउण्ड शुल्क वसूले जाने का प्रावधान भी सदस्यों को बताया। इस पर मनोनीत पार्षद राजकुमार चौरडिय़ा ने कहा कि प्रस्तुत फाईलों पर निर्धारित अवधि में इजाजत नहीं दिया जाना नगरपालिका का दोष है जो भवन निर्माताओं पर आरोपित किया जाना गलत है, इसलिए सभी को इजाजत दे दी जानी चाहिए। इस पर काफी जद्दोजहद के बाद तय किया गया कि केवल आवासीय पत्रावलियों को जो बिना विवादित है उन्हें स्वीकृति प्रदान कर दी जाए तथा अन्य को बोर्ड द्वारा कोई स्वीकृति नहीं दी जाए। इसके बाद पार्षद मो. खलील बिसायती ने निर्माण स्वीकृति सम्बन्धी समस्त अधिकार अधिशाषी अधिकारी व पालिकाध्यक्ष को दिए जाने का नया प्रस्ताव रखा, जिस पर अध्यक्ष ने सहमति जताते हुए सदस्यों के मत विभाजन की बात रखी। पार्षद फैजुखां ने कहा कि कोई भी निर्माण पत्रावली बोर्ड की बैठक में रखे बिना पारित नहीं होनी चाहिए। सुमित्रा आर्य व नेमाराम ने भी बोर्ड के अधिकारों को बोर्ड में ही निहित रखे जाने पर जोर दिया तथा स्पष्ट कहा कि बिना एजेन्डा के इस पर विचार करवाना व अध्यक्ष द्वारा मत विभाजन की बात रखा जाना गलत है। कोई भी पार्षद अब अपने सदन के अधिकारों को हस्तान्तरित नहीं करना चाहते। इसके बाद बैठक में भारी हंगामा हो गया तथा सभी सदस्य अपने स्थानों पर खड़े होकर अध्यक्ष की कुर्सी के पास आ गए और बोर्ड के अधिकारों को हस्तान्तरित नहीं करने पर जोर दिया। भारी शोर-शराबे के बीच उपाध्यक्ष याकूब शेख ने बैठक का बहिष्कार करने की घोषणा की तो अधिकांश पार्षद उनके साथ सदन से बाहर निक ल गए। बाद में काफी समझाईश के बाद बैठक पुन: प्रारंभ की गई जिसमें तय हुआ कि बिना एजेन्डा के रखे प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जाए, लेकिन तुरन्त बाद ही पालिकाध्यक्ष नाहटा ने कहा कि अतिक्रमण हटाने सम्बन्धी अधिकार ईओ व अध्यक्ष को दिए जाने चाहिए। इस पर नेमाराम ने निर्धारित सारे एजेन्डे पूरे होने के बाद ही बात करने का सुझाव दिया। लेकिन सदन में मौजूद ना पक्ष के सभी सदस्यों ने हंगामा खड़ा कर दिया तथा वे फिर सदन से बाहर निकल गए तथा सदन का पूरा माहौल शोरगुल में बदल गया। करीब आधा घंटा बाद फिर बैठक शुरू करने का प्रयास किया गया जिसमें 20 सदस्य मौजूद रहे, 14 सदस्य सदन छोड़कर जा चुके। इसके बाद नवीन निर्माण कार्यों पर विचार के दौरान अधिशाषी अधिकारी ने जानकारी दी कि नगरपालिका में तेरहवें वित्त आयोग के 41 लाख रुपए व 12वें वित्त आयोग के 22 लाख रुपए आए हुए हैं जिनका उपयोग शहर में टूटी सड़कों की मरम्मत, नालियों, सड़क निर्माण, सामुदायिक भवन व अन्य कार्यों में लिया जाना है। इस पर सुमित्रा आर्य ने पूर्व में पारित किए गए हौदों के निर्माण के सम्बन्ध में जानकारी मांगी व शहर में स्विच वायर लगाए जाने के मामले में जानकारी चाही। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि स्वीच वायर के बजाए अन्य निर्माण कार्य किए जाने चाहिए। जहां तक हो सके डबलूबीएम रोड़ को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। बाद में सदस्यों की मांग पर स्विच वायर लगाने पर भी सहमति प्रदान की गई। नये विकास कार्यों के बारे में भंवरलाल बावरी ने बाहर के वार्डों में अधिक काम कराए जाने का प्रस्ताव रखा परन्तु राजकुमार चौरडिय़ा ने शहर के अंदर फूटी सड़कों की जरूरत बताई। विवाद के बाद सभी वार्डों में समान रूप से काम कराए जाने का निर्णय लिया गया। दोहरा लेखा प्रबंधन डाटा बेस की दरों पर सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई।

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