राजस्थान के लाडनूं शहर से प्रकाशित समाचार पत्र कलम कला की ओर से लाडनूं-न्यूज: कलम कला शीर्षक से क्षेत्रीय समाचारों और विचारों से समाहित इटरनेट पर यह प्रस्तुतिकरण दिया जा रहा है। आप कलम कला को पढकर, अपने दोस्तों को बताकर, अपनी टिप्पणियां दर्ज करवाकर, अपने समाचार आदि हमारे ई-मेल पर भेजकर और कलम कला समाचार पत्र मंगवाकर हमारे सहयोगी बन सकते हैं।- SUMITRA ARYA, EDITOR, LADNUN. Email- kalamkala@gmail.com
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बुधवार, 24 अगस्त 2011
विद्युत सब स्टेशन से कॉपर वायर चोरी : तीन ट्रांसफार्मरों से निकाले तार
लाडनूं (कलम कला न्यूज)। जोधपुर विद्युत वितरण निगम लि. के डीडवाना रोड़ स्थित 33 केवीए ग्रीड सब स्टेशन से 20 व 21 की दरमियानी रात्रि तीन ट्रांसफार्मरों में से तांबे के तारों की कॉईलें अज्ञात चोर चुराकर ले गए।
विद्युत निगम के कनिष्ठï अभियंता ऋषिकेश मीणा ने पुलिस को रिपोर्ट देकर बताया कि जोधा सर्विस सेन्टर के सामने स्थित 33 केवीए जीएसएस में 20 अगस्त की रात्रि 12 बजे से 21 अगस्त की रात्रि 4 बजे के बीच के समय में अज्ञात चोरों ने ट्रांसफार्मरों से कॉपर की कॉईलें निकालकर चोरी कर ली। उन्होंने बताया कि इस सब स्टेशन पर चौकीदार की कोई व्यवस्था नहीं है लेकिन वहां मोती खां व ईश्वरदास दो लाईनमैन रात्रिकालीन ड्ïयुटी पर थे। उन्होंने रात को करीब 2 बजे कुछ आवाजें भी सुनी परन्तु उन्हें साधारण समझकर उस पर ध्यान नहीं दिया। पुलिस मामला दर्ज कर लिया है, थानाधिकारी दरजाराम मेघवाल ने स्वयं मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया, जांच जारी है।
राखी बांधने गई थी, आज तक नहीं लौटी------ घर से गायब तीन बच्चों की मां
लाडनूं (कलम कला न्यूज)। अपने घर से राखी बांधने के बहाने से रक्षाबंधन के दिन गई महिला दस दिन बीत जाने के बावजूद न तो अपने पीहर पहुंची और न ही वापस अपने घर लौटी। करीब दस दिनों तक गायब रहने के बाद उसके ससुर ने पुलिस में गुमसुदगी की रिपोर्ट दर्जर्
करवाई है। रिपोर्ट के अनुसार ग्राम खानपुर से तीन बच्चों की मां भगवती (33 वर्ष) पत्नी रामूराम ऊर्फ रामेश्वरलाल जाट अपने पति व तीन बच्चों को छोड़कर रक्षा बंधन को अपने पीहर ग्राम हरासर तहसील रतनगढ़ जाने का कहकर निकली थी, जो आज तक अपने पीहर नहीं पहुंची। ससुराल पक्ष ने इंतजार करने के बाद उसका सभी जगह पता किया और अब रिपोर्ट दर्ज करवाई। मामले की जांच सहायक उपनिरीक्षक रामनिवास मीणा कर रहे हैं। जांच अधिकारी रामनिवास मीणा ने बताया कि गुमशुदा महिला के मोबाईल की कॉल डिटेल व सिच्युएशन के आधार उसका पता लगाया जा रहा है।
फर्जी संस्था व कूट रचना के आरोप खारिज मैढ स्वर्णकार समाज के पदाधिकारियों के बीच मुकदमा निर्णित-----
लाडनूं (कलम कला न्यूज)। सामाजिक संस्था की सम्पति को हथियाने के लिए फर्जी संस्था का गठन करके कतिपय कागजातों में कांट-छांट व कूट रचना करने के एक चर्चित मामले में अदालत द्वारा लिए गए प्रसंज्ञान के खिलाफ की गई निगरानी को स्वीकार करते हुए अपर सेशन न्यायाधीश सूर्यप्रकाश काकड़ा ने विचारण अदालत द्वारा लिए गए प्रसंज्ञान को अपास्त कर दिने के आदेश जारी किए हैं। मालचंद डांवर वगैरह बनाम मैढ स्वर्णकार समाज सभा के मामले में मंत्री पुखराज सोनी ने आरोप लगाए थे कि सन 1946 से स्थापित व रजिस्टर्ड संस्था मैढ स्वर्णकार समाज सभा के पास खुद का भवन, बरतन, बिस्तर , नकद राशि आदि सामान मौजूद था। परन्तु आरोपियों मालचंद डांवर, मुरलीधर सोनी, ओमप्रकाश डांवर, हेमराज जांगलवा, बजरंग लाल सिठावत व लालचंद डांवर द्वारा बदनियति से सम्पति को हड़पने के लिए अपना कार्यकाल पूरा हो जाने के बावजूद संस्था के दस्तावेजातों, शील, मोहरों में कांट-छांट करके श्रीमैढ स्वर्णकार समाज सेवा समिति के नाम से एक फर्जी संस्था का गठन करके अपना कब्जा नहीं छोड़ा व उनका आपराधिक दुर्विनियोग करने एवं आपराधिक न्यासभंग करने के अवैध कार्यों द्वारा धारा 420, 120 बी, 406, 467, 469, 471, 494 भा.दं.सं. का अपराध किया है, जिसका प्रसंज्ञान लिया गया था। इसके विरोध में आरोपियों ने प्रसंज्ञान को प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्त मानते हुए खारिज करने के लिए निगरानी प्रस्तुत की, इसमें अधीनस्थ न्यायालय द्वारा साक्ष्यों का सही विश£ंषण नहीं करने व कांट-छांट के बारे में विशेषज्ञों की राय नहीं लेने व दस्तावेजों की जांच नहीं कराए जाने को भूल बताया। दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस सुनने व पत्रावली का अवलोकन करने पर पाया कि कांट-छांट का आरोप कूटरचना की श्रेणी में नहीं आता तथा सभा के स्थान पर समाज सेवा शब्द प्रस्थापित करने के पीछे किसी व्यक्ति या लोक को क्षति कारित होना स्पष्ट नहीं होता। अपर एवं सेशन न्यायाधीश काकड़ा ने प्रसंज्ञान लिए जाने को अविधिक एवं एवं अनुचित मानते हुए उसे अपास्त कर दिया।
कब मिटेगी बस स्टेंड की बदहाली------- गंदे पानी की समस्या से निजात पाने की कवायद------- जेसीबी से गैनाणी(खंदक) को गहरा बनाने की कवायद रही अधूरी
लाडनूं (कलम कला न्यूज)। गंदे पानी की निकासी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण बस स्टेंड जैसा महत्वपूर्ण क्षेत्र बुरी तरह कीचड़ से सन चुक ने और इक_े पानी में झेकरा मिट्टी डाल दिए जाने व उस पर सें बसों की आवाजाही के कारण चारों तरफ फैले लाल कीचड़ ने बस स्टेंड को आवागमन के लायक नहीं छोड़ा। यात्रियों और मंगलपुरा, वार्ड सं. 16, 17, 18, 23, 5 आदि के नागरिकों के शहर में आने, बाजार जाने, करंट बालाजी मंदिर जाने, कोर्ट जाने और विद्यार्थियों को विभिन्न विद्यालयों को जाने के मुख्य मार्ग के इस प्रकार अवरूद्ध हो जाने से भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गत दिनों जिला कलेक्टर एस.एस. बिस्सा ने इस क्षेत्र का अवलोकन किया था और उनके निर्देशानुसार नगरपालिका ने झेकरा मिट्टी डलवाई थी, लेकिन उससे समस्या उल्टी अधिक बढ गई।
फिर याद किया खंदेड़े को
अब पानी की निकासी के लिए नगरपालिका पास के खंदेड़े को वापस खुदवाने का कार्य कर रही है। यहां जेसीबी मशीन लगी हुई है तथा नगरपालिका के ट्रेक्टर लगाकर सफाईकर्मी पूर्व में भरे गए कचरे को वापस उठा रहें हैं। पार्षद सुमित्रा आर्य अपने वार्ड में बनी इस समस्या के निवारण के लिए अधिकारियों से मदद लेकर खुद मौके पर खड़ी रह कर इस प्रमुख जन समस्या के निवारण के लिए प्रयास रत है। खंदेड़े में करीब 15 बीघा जमीन नगर के गंदे पानी की निकासी के लिए बरसों से लगातार काम आती रही है। कुछ समय पूर्व नगरपालिका के कचरा वाहनों द्वारा वहां कचरा डालकर उसके काफी हिस्से को पाट दिया गया था। जिसके बाद कुछ भूमाफिया लोगों ने वहां साफ मिट्टी की भराई करवाकर उसको कब्जा करने की चेष्टा की थी, जिसपर नागरिकों की सजगता और प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से उसे खुर्द-बुर्द किया जाने से रोका गया था। बाद में तहसीलदार ने नगरपालिका को उक्त भूमि को तारबंदी या चहारदिवारी द्वारा घेर कर सुरक्षित करने व गंदे पानी का निकासी स्थान निश्चित करने को लिखा था। अब कहीं जाकर नगरपालिका ने इस ओर ध्यान दिया है।
यह जरूरी था
सुखदेव आश्रम, बस स्टेंड व मालियों के बास में बनी गंदे पानी की समस्या को स्थाई रूप से निपटाने के लिए यह आवश्यक था। नगर पालिका को खंदेड़े की अपनी जमीन पर चार दिवारी बनाकर उसे सुरक्षित करना चाहिए और इसे गैनाणी के रूप में काम में लेना चाहिए।
- सुमित्रा आर्य, पार्षद वार्ड सं. 16, लाडनूं।
निकाला जाएगा पानी की निकासी का हल
बस स्टेंड पर बनी पानी की निकासी का हल निकाला जाकर उसका सौंदर्यकरण किए जाने के प्रयास जारी है। खंदेड़े को वापस खुदवाकर उसे सुरक्षित किया जाएगा। -जस्साराम गोदारा, अधिशाषी अधिकारी, नगरपालिका, लाडनूं।
फिर याद किया खंदेड़े को
अब पानी की निकासी के लिए नगरपालिका पास के खंदेड़े को वापस खुदवाने का कार्य कर रही है। यहां जेसीबी मशीन लगी हुई है तथा नगरपालिका के ट्रेक्टर लगाकर सफाईकर्मी पूर्व में भरे गए कचरे को वापस उठा रहें हैं। पार्षद सुमित्रा आर्य अपने वार्ड में बनी इस समस्या के निवारण के लिए अधिकारियों से मदद लेकर खुद मौके पर खड़ी रह कर इस प्रमुख जन समस्या के निवारण के लिए प्रयास रत है। खंदेड़े में करीब 15 बीघा जमीन नगर के गंदे पानी की निकासी के लिए बरसों से लगातार काम आती रही है। कुछ समय पूर्व नगरपालिका के कचरा वाहनों द्वारा वहां कचरा डालकर उसके काफी हिस्से को पाट दिया गया था। जिसके बाद कुछ भूमाफिया लोगों ने वहां साफ मिट्टी की भराई करवाकर उसको कब्जा करने की चेष्टा की थी, जिसपर नागरिकों की सजगता और प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से उसे खुर्द-बुर्द किया जाने से रोका गया था। बाद में तहसीलदार ने नगरपालिका को उक्त भूमि को तारबंदी या चहारदिवारी द्वारा घेर कर सुरक्षित करने व गंदे पानी का निकासी स्थान निश्चित करने को लिखा था। अब कहीं जाकर नगरपालिका ने इस ओर ध्यान दिया है।
यह जरूरी था
सुखदेव आश्रम, बस स्टेंड व मालियों के बास में बनी गंदे पानी की समस्या को स्थाई रूप से निपटाने के लिए यह आवश्यक था। नगर पालिका को खंदेड़े की अपनी जमीन पर चार दिवारी बनाकर उसे सुरक्षित करना चाहिए और इसे गैनाणी के रूप में काम में लेना चाहिए।
- सुमित्रा आर्य, पार्षद वार्ड सं. 16, लाडनूं।
निकाला जाएगा पानी की निकासी का हल
बस स्टेंड पर बनी पानी की निकासी का हल निकाला जाकर उसका सौंदर्यकरण किए जाने के प्रयास जारी है। खंदेड़े को वापस खुदवाकर उसे सुरक्षित किया जाएगा। -जस्साराम गोदारा, अधिशाषी अधिकारी, नगरपालिका, लाडनूं।
समाज की प्रगति के लिए शिक्षा जरूरी- शर्मा
ब्राह्मण समाज की सभा आयोजित
लाडनूं । राजस्थान ब्राह्मण महासभा के नवनियुक्त जिलाध्यक्ष जगदीश नारायण शर्मा ने यहां दाधीच भवन में आयोजित महासभा की एक बैठक को सम्बोधित करते हुए समाज में शिक्षा की आवश्यकता बताई तथा कहा कि जिस समाज में शिक्षा की ज्योत प्रज्जवलित होती है वही समाज प्रगति कर सकता है, बिना शिक्षा के सामाजिक उन्नति संभव नहीं है। इस अवसर पर स्थानीय ब्राह्मण महासभा के कार्यकत्र्ताओं ने शर्मा का माल्यार्पण द्वारा सम्मान किया। महासभा की महिला महामंत्री श्रीमती अंजना शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि महिलाओं को अब घर की देहरी लांघनी पड़ेगी।सभा में ब्राह्मण महासभा के स्थानीय अध्यक्ष अनिल शर्मा,नरेन्द्र भोजक, राजु पारीक, चांदमल शर्मा, लूणकरण शर्मा, तपस्वी शर्मा, रामनिवास चोटिया, श्रीचंद पारीक, बजरंग दाधीच, हनुमान सूंठवाल, युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रामनिवास, चेतन शर्मा, नागरमल शर्मा आदि ने भी सभा को सम्बोधित करते हुए समस्त ब्राह्मण समाज को एकसूत्र में बांधे जाने एवं संगठन को मजबूती प्रदान करने की जरूरत बताई।
तीन सालों से बेटे के लिए भटकते बाप के आंसू तक सूखे ------------- पुलिस ने किया पूरी तरह नाउम्मीद
लाडनूं (कलम कला न्यूज)। पिछले तीन साल से लगातार पुलिस, प्रशासन व अदालतों के चक्कर काटकर परेशान पिता की व्यथा को अब कोई सुनता तक नहीं है। हाल ही उसने फिर स्थानीय पुलिस को एक दरख्वास्त पेश करके अपने 25 वर्षीय बेटे की तलाश की मांग करते हुए गजानन्द व हरिराम पर अपने पुत्र को गायब करने, बंधक बनाकर छुपाने अथवा हत्या कर डालने का आरोप लगाया है, परन्तु पुलिस के रटे-रटाए जवाब कि कोर्ट के आदेशों से जांच जारी है, के अलावा कोई संतोषजनक जवाब उसको नहीं मिल पाया। फिर पुलिस अधीक्षक के सामने इा दुखी बाप ने एक दरख्वास्त पेश की, तथा पूर्ण विवरण बताते हुए पुलिस को निर्देशित करने के लिए निवेदन किया। जिस पर उन्होंने पुलिस थाना लाडनूं को तलाश को गंभीरता से लेने के आदेश दिए हैं।
करीब तीन साल से अधिक समय पूर्व स्थानीय निवासी नथमल प्रजापत के एकमात्र पुत्र भंवरलाल को सुजानगढ निवासी हरिराम प्रजापत ले गया था तथा अपने पिता गजानन्द के पास ठेकेदारी के काम में लगा दिया था, उसकी तनख्वाह के रूप में मेहनताने की राशि एवं उसके पुत्र का इसके बाद आज तक कोई पता नहीं लगा। इस सम्बंध में उसने पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज नहीं किए जाने पर जिला पुलिस अधीक्षक नागौर के समक्ष हाजिर होकर एक रिपोर्ट दी व अपनी व्यथा बताई। बाद में न्यायालय की शरण गया, जिसमें राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में पुलिस को केवल खानापूर्ति करने के बजाए अपनी पूरी ड्यूटी निभाते हुए तलाश करके गुमसुदा भंवरलाल को बरामद किया जावे। व्यथित पिता नथमल ने पुलिस को दी गई अपनी रिपोर्ट में गजानन्द व हरिराम पर अपने पुत्र को गायब करने, बंधक बनाकर छुपाने अथवा हत्या कर डालने का आरोप लगाया है। पिछले तीन साल से आंखों में आंसू लिए स्थानीय पुलिस, समाजसेवी संस्थाओं, राजनेताओं, नागोर एसपी एवं हाईकोर्ट के वकीलों के पास घूम-घूम कर अब सूनी आंखों से गमगीन हो चुका है। वह हाथ ठेले पर सब्जी बेचकर अपना व अपने परिवार का पेट भरने वाला व्यक्ति पुरी तरह टूट चुका है तथा अपना धंधा भी नियमित नहीं कर पाता है।
प्रख्यात रामस्नेही संत स्वामी रामनिवास महाराज
गौ और राम की सेवा ही था जिनका जीवन लक्ष्य
लाडनूं में न मिली दो गज जमीन
गौशाला के दायित्व को लेकर लोगों में रोष
लाडनूं (कलम कला न्यूज)। प्रख्यात रामस्नेही सम्प्रदाय के संत स्वामी रामनिवास महाराज को लाडनूं क्षेत्र में दो गज जमीन तक नहीं मिलने को लेकर लोगों में गहरा रोष देखा गया।
लाडनूं के दो संतो की साम्यता- तुलसी व रामनिवास
लाडनूं में दो संत विख्यात थे, एक तो आचार्य तुलसी व दूसरे स्वामी रामनिवास। दोनों विपरीत धाराओं- ब्राह्मण संस्कृति व श्रमण संस्कृति से सम्बद्ध थे। इसके बावजूद इन दोनों में जो समानता थी वो यह कि ये लाडनूं के प्रति असीम भावनात्मक आकर्षण रखते थे। आचार्य तुलसी ने पारमार्थिक शिक्षण संस्थान, वृद्ध साध्वी सेवा ककेन्द्र व जैन विश्व भारती एवं जैविभा विश्वविद्यालय जैसे अवदान लाडनूं के लिए दिए एवं अपनी भावना के अनुरूप अन्ततोगत्वा लाडनूं को उनके जन्म शताब्दी वर्ष से पूर्व तेरापंथ धर्मसंघ की राजधानी घोषित कर दिया गया। इसी प्रकार स्वामी रामनिवास ने लाडनूं में श्री राम आनन्द गौशाला के लिए लगभग अपना जीवन समर्पित कर दिया था। उन्होंने गौशाला के लिए अनेक लड़ाइयां लड़ी, सरकार से अनुदान स्वीकृत करवाना हो या सम्पति का संरक्षण, वहां धर्मशाला बनवाकर गौशाला की आमदनी बढानी हो, पशु चिकित्सालय खुलवाकर पशुओं के हित में कार्य करना हो या दानदाताओं से मुक्त हस्त सहयोग जुटाना, सभी के लिए स्वामी रामनिवास हरपल तैयार रहते थे। गौशाला के माध्यम से लागों को शुद्ध दूध-घी उपलब्ध करवाने के कार्य को उन्होंने सफलता पूर्वक करवाया वहीं अकाल के समय समूचे क्षेत्र के पशुधन के लिए चारा उपलब्ध करवाने में भी उनका कार्य महत्वपूर्ण रहा।
दोनों ने किए अपने उत्तराधिकारी घोषित
आचार्य तुलसी ने अपने जीवन काल में केवल एक नहीं दो पीढी के उत्तराधिकारी घोषित कर दिए। उन्होंने अपने जीवन काल में ही मुनि नथमल को युवाचार्य महाप्रज्ञ बना डाला और आगे कोई उत्तराधिकार की लड़ाई न छिड़े इस सोच के कारण उन्होंने स्वयं आचार्य पद त्याग कर महाप्रज्ञ को आचार्य पद पर पदारूढ कर दिया तथा मुनि मर्यादा कुमार को युवाचार्य महाश्रमण के रूप में घोषित करवा दिया। वे स्वयं एक नए पद गणाधिपति के रूप में कहे जाने लगे और गुरूदेव के रूप में ख्यात हुए। स्वामी रामनिवास ने ग्राम दुजार में बने आर्यसमाजी संन्यासी संत ओमप्रकाश उर्फ स्वामी पूर्णानन्द के साधु आश्रम को अपने कब्जे में लेकर उसे रामस्नेही सम्प्रदाय का आश्रम बना डाला और उनके देवलोक गमन के पश्चात उनके स्थान पर शिष्य के रूप में ज्ञानाराम महाराज की नियुक्ति स्वामी रामनिवास ने की तथा इसी प्रकार अपने शिष्य व गद्दीपति के रूप में रामद्वारा की बागडोर अपने जीवन काल में ही स्वामी अमृत राम को सुपुर्द कर दी।
नसीब नहीं हुई लाडनूं की धरा?
इन दोनों संतों में आचार्य तुलसी लाडनूं के जाए-जन्मे थे और लाडनूं में बड़े हुए, जबकि स्वामी रामनिवास का जन्म तो अवश्य पंजाब में हुआ, परन्तु उनका बचपन लाडनूं में ही बीता और यहीं पले-बढे। इन दोनों में समानता यह रही कि दोनों की ही समाधियाां लाडनूं को नसीब नहीं हुई। आचार्य तुलसी का देहावसान गंगाशहर में हुआ, उनके अंतिम संस्कार लाडनूं में करने की चेष्टाएं हुई, परन्तु गंगाशहर के लोगों को यह मंजूर नहीं था, सो उनका समाधि स्थल बना गंगाशहर। और स्वामी रामनिवास का देवलोक गमन तो अवश्य लाडनूं में हुआ, परन्तु उनका समाधि स्थल बना ऋषिकेश। लाडनूं के लोगों को बेमन से उनकी पार्थिव देह को ऋषिकेश भिजवाना पड़ा, यह मात्र श्रीराम आनन्द गौशाला के कारण हुआ। 13 अगस्त 2011 श्रावण शुक्ला पूर्णिमा शनिवार के रोज शाम 7.15 बजे स्वामी रामनिवास महाराज अपने रामद्वारा में ब्रह्मलीन हो गए। उनके ब्रह्मलीन होने के पश्चात लोगों का भारी हुजूम यहां राहूगेट स्थित रामद्वारा की ओर उमड़ पड़ा। लोगों ने उनके उतराधिकारी स्वामी अमृतराम महाराज के समक्ष आग्रह किया कि देवलोकगामी स्वामी रामनिवास का अंतिम संस्कार लाडनूं में ही किया जावे। देर रात्रि तक इसके लिए काफी अनुनय-विनय का दौर चला, जिस पर स्वामी अमृतराम ने बताया कि स्वामी रामनिवास की इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार राम आनन्द गौशाला में अथवा फिर ऋषिकेश में गंगा तट पर किया जावे। उनके अन्तिम संस्कार के स्थान को लेकर स्थानीय श्रद्धालुओं में देर रात तक चली जद्दोजहद के पश्चात रात्रि 1.15 बजे उनकी पार्थिव देह को एम्बुलेंस से ऋषिकेश में गंगा तट पर अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया। गौशाला के पदाधिकारियों पर आम लोगों द्वारा भारी दबाव डाला जाने के बावजूद उन्होंने इसके लिए अनुमति प्रदान नहीं की, भागचंद बरडिय़ा आदि कई लोगों ने अपनी निजी भूमि इसके लिए गौशाला को उपलब्ध करवाने का प्रस्ताव भी रखा परन्तु गौशाला के पदाधिकारी टस से मस नहीं हुए। जिसके बाद उनकी पार्थिव देह को ऋषिकेश के लिए ले जाया गया। लाडनूं में उनके शरीर के लिए अंत्येष्टि की भूमि तक उपलब्ध नहीं करवाने को लेकर स्थानीय लोगों में गौशाला के प्रति गहरा आक्रोश देखा गया।
कहां थे इनके वास्तविक श्मशान?
लाडनूं में रामस्नेही सम्प्रदाय के दो रामद्वारा हैं, एक आधी पट्टी में जो बड़ा रामद्वारा कहा जाता है और दूसरा राहूगेट के अन्दर है, जिसे रामद्वारा सत्संग भवन कहा जाता है। इस सत्संग भवन रामद्वारा में सूरदास संत मेवाराम कभी महन्त के रूप में विराजित थे, जिनके चेले स्वामी रामनिवास थे। स्वामी रामनिवास ने गद्दी पर विराजित होने के बाद अपने साधुओं का समाधि-स्थल आनन्द कुटिया, जो तुलसीदास जी के चबूतरे के सामने स्थित थी, को एक व्यापारी के हाथों बेच डाला। अब वहां एक शोरूम है।इस कुटिया में समाधि, पगल्या, शिवलिंग, तुलसी का पौधा आदि थे, जो नष्ट कर दिए गए। ऐसे में श्मशान स्थल की समस्या आनी ही थी।
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