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गुरुवार, 7 अप्रैल 2011

यायावर की कलम

नारी उपभोग बन गई
नारी बनकर रह गई, विज्ञापन की चीज।
आजादी के नाम पर, कैसे बोए बीज।।
कैसे बोए बीज, नारी पथभ्रष्ट हो गई।
जिसको पूजा जाता था, उपभोग बन गई।।
कहे यायावर साफ, ये किसकी जिम्मेदारी।
क्यों हुई वो नंगी, है खुद की दुश्मन नारी।।
-जगदीश यायावर, मो. 9571181221

email- yayawer@gmail.com

1 टिप्पणी:

TRUN BHARTIYA ने कहा…

तरुण भारतीय ने आपकी पोस्ट " कर दो शुरू क्रांति " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:

बस शुरुआत हो चुकी है ........ओर वो खुद से ही करनी पड़ेगी



तरुण भारतीय द्वारा यायावर की कलम के लिए १ मई २०११ ६:०८ पूर्वाह्न को पोस्ट किया गया