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शनिवार, 4 मई 2013



बिनब्याही नेताजी की पत्नी पहुंची दून ; दिल्ली में दिया था बच्चे को जन्म -विपक्ष द्वारा मामले को उछाले जाने पर जच्‍चा बच्‍चा को कर दिया था गायब
उत्तराखण्ड की राजनीति में जहां भूचाल मचेगा वहीं नेताजी का राजनीतिक भविष्य पर भी ग्रहण लग जाएगा,  उत्‍तराखण्‍ड के एक काबिना मंत्री का काउंट डाउन शुरू,काल चक कर रहा है पीछा, पशुपतिनाथ के राजगुरू की भविष्‍यवाणी- धोखेबाज, मतलबपरस्‍त एक राजनेता को शीघ्र बनेगा शनि का कोप भाजन
  क्राईम स्टोरी समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखण्ड के एक बडबोले नेताजी ने राजधानी में रहने वाली एक युवती को अपनी हवस काशिकार बनाकर उसे बिन ब्याही मां बना डाला। दिल्ली में मासूम बच्ची को जन्म देने वाली इस मां के सीने में नेताजी के कई चौकाने वाले रहस्य हैं जिसे उसने गोपनीय रूप से चंद मीडिया के सामने उजागर भी कर दिया है। जिससे तय माना जा रहा है कि आने वाले कुछ समय के भीतर नेताजी के हवस का शिकार हुई यह युवती जल्द प्रदेश की राजनीति में इतना बडा भूचाल मचाएगी कि राज्य की राजनीति उथल पुथल हो जाएगी। गौरतलब है कि उत्तराखण्ड के एक सफेद कुर्ते पैजामे वाले नेताजी जो हमेशा प्रदेश का मुख्यमंत्राी बनने का सपना देखकर राज्य के अंदर अक्सर बवाल मचाते रहते हैं तथा जिनका दामन अक्सर दागदार बना रहता है। बताया जा रहा है कि एक छोटे नेताजी की संस्था में शामिल एक युवती प्रदेश के एक नेता को इतना भा गयी थी कि नेताजी ने उसे दिल्ली में एक रैनबसेरा भी रहने के लिए दिलवा दिया था। नेताजी ने युवती के साथ प्रेम की पींगे बढाई और उसके साथ यौन शोषण कर उसे गर्भवती कर दिया तथा इसका राज किसी के सामने न खुले इसके लिए इस युवती को दून से चुपचाप दिल्ली पहुंचा दिया गया था। जहां कुछ समय पूर्व नेताजी की बिन ब्याही पत्नी ने एक मासूम बच्ची को जन्म दिया था।
नेताजी की बिन ब्याही पत्नी अपनी मासूम बच्ची को पिता का नाम दिलाने के लिए काफी आहत है इसलिए बच्ची को जन्म देते ही दिल्ली में गुमनाम तरीके से खामोश हो गई क्योंकि नेताजी का वजूद देखकर युवती काफी डरी हुई थी। एक अन्य दल के नेता इस युवती को नेताजी की हवस का दंड दिलाने के लिए उसे खोजते रहे लेकिन युवती का कुछ पता नहीं चल पाया अब इस युवती ने अपने आपको सुरक्षित रखने के लिए दून का रूख किया और वह फिलहाल सबकी नजरों से दूर हो रखी है। हालांकि मीडिया के चंद लोगों से नेताजी की बिन ब्याही पत्नी ने कई चौकाने वाले राजों का खुलासा किया है। जिसके चलते यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि अगर इस बिन ब्याही पत्नी ने अपनी बच्ची को पिता का नाम दिलाने के लिए कोई सख्त कदम उठाया तो यह तय है कि उत्तराखण्ड की राजनीति में जहां भूचाल मचेगा वहीं नेताजी का राजनीतिक भविष्य पर भी ग्रहण लग जाएगा।

 गीत व भजन प्रतियोगिताओं का आयोजन
 लाडनूं। जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग में आयोजित चार दिवसीय सांस्कृतिक प्रतियोगिता के दूसरे दिन भजन, देश भक्ति गीत, लोक गीत, विचित्र वेश-भूषा आदि प्रतियोगिताये आयोजित की गई। एकल भजन में गूंजन गुप्ता ने प्रथम, ऊषा शर्मा ने द्वितीय तथा शबनम बानो, रेखा माथुर, ममता स्वामी, एवं खुशबू परिहार ने संयुक्त रूप से तृतीय स्थान प्राप्त किया। सामुहिक भजन में गुंजन गुप्ता एवं समुह ने प्रथम, अनित एवं समूह ने द्वितीय तथा निकिता कंवर एवं समूह ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। देश भक्ति एकल गीत में लिछमा देवी प्रथम, अनित द्वितीय एवं आरती सिंह, पिंकी पटेल, ऊषा शर्मा, शोभा वर्मा आदि ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। प्रतियोगिताओं के द्वितीय  सत्र में लोकगीत, फिल्मी गीत, डम्ब शिराज, विचित्र वेशूभूषा आदि का आयोजन हुआ। विचित्र वेशभूषा में अनीता शर्मा प्रथम, सन्तोष गहलोत द्वितीय एवं चन्द्रकला नोगिया तृतीय स्थान पर रही। डम्ब शिराज में चेतना सैन एवं अनिता ने प्रथम, गुंजन गुप्ता एवं कमलेश ने द्वितीय तथा पिंकी पटेल एवं प्रिया उपाध्याय ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। फिल्मी गीत एकल में महिमा नांगल व शबनम बानो ने प्रथम, लिछमा ने द्वितीय तथा खुशबू परिहार ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। फिल्म गीत सामूहिक में कमलेश मीणा एवं समूह ने प्रथम, लिछमा ने द्वितीय, रेखा माथुर एवं समूह ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। लोकगीत एकल में प्रथम रेखा माथुर, द्वितीय सीमा मेहरा तथा तृतीय खातीज रही। लोकगीत सामूहिक में सीमा एवं समूह प्रथम, अनीता कंवर एवं समूह द्वितीय तथा सुशीला शीलू एवं समूह तृतीय स्थान पर रहे। प्रतियोगिता के निर्णायक  के रूप में डा. आनन्द प्रकाश  त्रिपाठी, प्रो. दामोदर शास्त्री, नारायणलाल स्वामी, पुष्पा मिश्रा, रेखा शर्मा ने सहयोग किया। निर्णायकों ने छात्राध्यापिकाओं के उत्साह की प्रशंसा करते हुए कहा कि हमें अधिक से अधिक संख्या में इन प्रतियोगिताओं में भाग लेना चाहिए तथा एक शिक्षिका के रूप में ऐसे कार्यक्रमों को सदैव प्रोत्साहित करना चाहिए।

सुराज संकल्प यात्रा के मार्ग में आंशिक बदलाव की मांग
लाडनूं। भाजपा की प्रदेशाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में आयोजित की जा रही सुराज संकल्प यात्रा के लाडनूं आगमन के मार्ग में परिवर्तन किये जाने के सम्बंध में भाजपा के विभिन्न जिला पदाधिकारियों ने मांग की है। यात्रा का मार्ग डीडवाना से मेगा हाईवे होते हुए बाकलिया व लाडनूं रखा गया है, जिसमें ये पदाधिकारी आंशिक बदलाव चाहते हैं, ताकि लाडनूं विधानसभा क्षेत्र के अधिकतम गांवों को इसका लाभ मिल सके। भाजपा की जिला मंत्री श्रीमती सुमित्रा आर्य, भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष देवाराम पटेल, भाजपा खनन प्रकोष्ठ के जिला संयोजक बजरंग सिंह लाछड़ी, पूर्व प्रधान जगदीश सिंह राठौड़ एडवोकेट, गिरधारी लाल दायमा, नन्द सिंह कसूम्बी, गोरधन सिंह डाबड़ी, पूर्व पालिकाध्यक्ष गुलाबरानी भोजक आदि ने भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती किरण माहेश्वरी को पत्र लिखकर बताया है कि वसुंधरा राजे के रूट को डीडवाना से मीठड़ी और मीठड़ी से जसवंतगढ रखा जावे, क्योंकि इस रूट पर करीब 15 ग्राम पंचायतों को लाभ मिलेगा। इस मार्ग पर रींगण, रोड़ू, लैड़ी, कसुम्बी, थाणूं, घिरड़ौदा, इन्द्रपुरा, ध्यावा, लाछड़ी आदि ग्राम पंचायतें इस मार्ग पर आती हैं। इस मार्ग को यात्रा के लिये चुनने पर लाडनूं व डीडवाना से काफी दूरी पर आने वाले मीठड़ी आदि क्षेत्रों के लोगों को इसका लाभ मिल सकेगा। इन स्थानीय भाजपा नेताओं ने पत्र में आग्रह किया है कि वसुंधरा राजे के रात्रि विश्राम का कार्यक्रम जो लाडनूं में तय किया गया है, वह जसवंतगढ में ही रखा जावे। जसवंतगढ में हाल में ही निर्मित माहेश्वरी भवन में 32 कमरों में एयर कंडीशंड सुविधा है तथा आस पास में अन्य सुविधायुक्त धर्मशालायें मौजूद हैं, जहां 500 से अधिक लोगों को आराम से ठहराया जा सकता है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग सं. 65 पर स्थित होने से आवागमन सुविधाजनक रहेगा और इस क्षेत्र के कार्यकर्ताओं का उत्साहवद्र्धन हो सकेगा।

सरबजीत को सार्वजनिक श्रद्धांजलि 
लाडनूं। पाकिस्तानी जेल में मारे गये भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की स्मृति में उसे सार्वजनिक रूप से श्रद्धांजलि देने का एक कार्यक्रम यहां राहूगेट के पास स्थित अशोक स्तम्भ के पास लाडनूं नागरिक कल्याण समिति के तत्वावधान में रखा गया। बड़ी संख्या में यहां आते-जाते नागरिकों ने सरबजीत के फोटो पर अगरबती जलाकर, माल्यार्पण द्वारा एंव मौन रखकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। समिति के अध्यक्ष सुधीर बंधु पारीक ने इस अवसर पर कहा कि सरबजीत की मौत ने सभी देशवासियों को झकझोर कर रख दिया है। उनकी शहादत व्यर्थ नहीं जानी चाहिये। केन्द्र सरकार को पाकिस्तान को कड़ा सबक सिखाने के लिये कदम उठाने चाहिये। इस अवसर पर सुनील भोजक, सुनील वर्मा, दीपक बोहरा, निर्मल आर्य, प्रकाश चंद, विमल चंद्र आदि कार्यकर्ता उपस्थित थे।

सुराज संकल्प यात्रा को लेकर बैठक आयोजित
 लाडनूं। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वसुंधरा राजे के नेतृत्व में सुराज संकल्प यात्रा के आगामी 2 जून को लाडनूं आगमन को लेकर यहां भाजपा तैयारियों में जुट गई है। शुक्रवार को यहां गढ परिसर स्थित भाजपा कार्यालय में भाजपा शहर मंडल की तरफ से स्थानीय नगर पालिका मंडल के सभी भाजपा पार्षदों को आमंत्रित किया गया। भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य व पूर्व विधायक मनोहर सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में पार्षदों से वसुंधरा राजे की सभा में अधिक से अधिक भीड़ जुटाने के लिये लोगों को तैयार करने, लोगों को लाने-लेजाने के लिये वाहनों की व्यवस्था करने, अपने स्तर पर पोस्टर-पैम्फलेट छपवाने और होर्डिंग बनवाकर लगाने आदि के बारे में विचार विमर्श किया गया। बैठक में शहर मंडल अध्यक्ष मुरलीधर सोनी, महामंत्री प्रवीण जोशी, ताजू खां मोयल, मंत्री भाणूं खां टाक, युवा नेता गजेन्द्र सिंह ओड़ींट, सुरेन्द्र जांगिड़, लक्ष्मण चारण, भाजपा जिला मंत्री सुमित्रा आर्य, नगर पालिका उपाध्यक्ष याकूब शेख,  पार्षद अदरीश खां, भंवरलाल प्रजापत, नेमाराम सांसी, बीरबल स्वामी, चतर सिंह, जीवण मल बडज़ात्या, बिदाम व्योपारी आदि उपस्थित थे।
om bana pali rajasthanजयप्रकाश माली ओम बन्ना, राजस्थान के मारवाड़ इलाके में कम ही लोग हैं जो इस नाम से परिचित न हों। ओम बन्ना उर्फ ओम सिंह राठौड़। लोग उन्हें उनकी बुलेट मोटरसाइकिल की वजह से जानते हैं और वो भी मौत के बाद। ये बात जितनी हैरतअंगेज है उतनी ही सच भी। पाली से तकरीबन 20 किलोमीटर दूर एक मोड़ है, जहां पर लगातार दुर्घटनाएं होती थीं। पिता हमेशा नसीहत देकर अपने जवान बेटे को भेजते थे और पत्नी शुभकामनाएं देकर। क्योंकि यह मोड़ उनके रास्ते का हिस्सा था और हर रोज उन्हीं यहीं से अपनी बाइक से आना होता था। उनकी पसंदीदा बुलेट। जो उनकी दोस्त भी थी और हमसफर भी। ओम बन्ना को खुद से ज्यादा भरोसा अपनी बुलेट पर था।1988 में हर रोज की तरह अपना काम खत्म कर देर शाम ओम बन्ना पाली से अपने गांव चोटिला की ओर लौट रहे थे। इस दौरान उन्हें सड़क पर कोई आकृति नजर आई और उन्होंने उसे बचाने के लिए अपनी बाइक घुमा ली। बाइक सीधी एक ट्रक में जा घुसी, भिड़ंत इतनी जबरदस्त थी कि मौके पर ही उनकी मौत हो गई। दुर्घटनाएं इस जगह पर आम थी और अकसर लोगों की मौत भी हो जाती थी। कुछ लोगों ने तो इस जगह को शापित तक करार दे दिया था। पुलिस यहां से उनका शव और बाइक थाने ले गई।परिवार को जवान बेटे की मौत की सूचना दी गई। कोई यकीन नहीं कर पा रहा था कि इतना नेकदिल युवक कम उम्र में चल बसा। परिवार बेटे का शव लेकर घर पहुंचा और अंतिम क्रियाकर्म की तैयारी ही कर रहा था कि थाने से कुछ पुलिसवाले पहुंचे और कहा कि आप लोग थाने से बाइक भी उठा लाए क्या? परिवार ने अनभिज्ञता जाहिर की। उन्हें तो अपने बेटे की फिक्र थी, वहां पर बाइक के बारे में कौन सोचता। पुलिसकर्मी भी हैरान हो गए कि बाइक कहां गई। तभी किसी ने सूचना दी कि बाइक तो वहीं है जहां कल रात एक्सीडेंट हुआ था। लोग हैरान रह गए। आखिर बाइक वहां कैसे हो सकती है। कुछ देर पहले ही तो थाने लाए थे, कोई लेकर भी नहीं गया।पुलिसकर्मी फिर दुर्घटनास्थल पर गए तो बाइक वहीं थी। बुलेट को एक बार फिर थाने ले जाया गया लेकिन अगली सुबह बुलेट फिर थाने से गायब और उसी दुर्घटनास्थल पर। पुलिस हैरान थी, परिवार उनसे भी ज्यादा। इस बार पुलिसकर्मियों ने परिवार के लोगों से कहा कि क्यों ने बाइक को घर पर खड़ा कर दिया जाए शायद फिर ऐसा न हो। बुलेट को घर ले आया गया लेकिन अगली ही सुबह बुलेट उसी जगह पहुंच गई जहां एक्सिडेंट हुआ था।बाइक न सिर्फ उसी हाइवे पर पहुंची बल्कि उस रात कुछ और दुर्घटनाएं होने से बच गई। अगली सुबह ट्रक चालकों ने बताया कि एक दो बार उन्हें भी उसी मोड़ पर आभास हुआ कि कोई है और वो ट्रक को सड़क से उतारते या किसी ओर तरफ मोड़ते, उससे पहले ही उन्हें बाइक की रोशनी में दिखा कि सड़क साफ है और वहां कुछ नहीं। वे आराम से सड़क से गुजर गए। वो बाइक उसी खूनी मोड़ के आसपास अकसर देखी जाने लगी और एक्सीडेंट्स होने बंद हो गए।लोगों में ओम बन्ना की इस बाइक के प्रति अथाह आस्था जागी और भरोसा हो गया कि वे इस इलाके के रक्षक हो गए हैं। हर रात वे इस खूनी मोड़ के आसपास रहते हैं और यहां होने वाले दुर्घटनाओं को रोक देते हैं। तब से उनकी स्मृति में इसी बाइक को यहीं हाइवे पर खड़ा कर दिया गया है और पिछले 25 साल से यह बाइक यहां सड़क से गुजरने वालों की रक्षा करती है। यहां से गुजरने वाले सभी वाहन चालक उन्हें धोक देकर (मत्था टेककर) निकलते हैं, इसी विश्वास के साथ कि ओम बन्ना उनकी रक्षा कर रहे हैं।अब तो बाकायदा यहां पर उनका मंदिर बना दिया गया है, जहां पर उनकी बुलेट मोटर साईकिल की पूजा होती है। और बाकायदा लोग उस मोटर साईकिल से भी मन्नत मांगते है और हां इस चमत्कारी मोटर साईकिल ने आज से 25 साल पहले सिर्फ स्थानीय लोगों को ही नहीं बल्कि पुलिस वालों को भी चमत्कार दिखा आश्चर्यचकित कर दिया था। आज भी इस थाने में नई नियुक्ति पर आने वाला हर पुलिस कर्मी ड्यूटी ज्वाइन करने से पहले यहां मत्था टेकने जरूर आता है। जोधपुर अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर जोधपुर से पाली जाते वक्त पाली से लगभग 20 किलोमीटर भीड़ से घिरा एक चबूतरा जिस पर ओम बन्ना एक बड़ी सी फोटो लगी है। चबूतरे के पास ही नजर आती है एक फूल मालाओं से लदी बुलेट मोटर साईकिल। यह “ओम बन्ना ” का स्थान है। ओम बन्ना ( ओम सिंह राठौड़ ) पाली शहर के पास ही स्थित चोटिला गांव के ठाकुर जोग सिंह राठौड़ के पुत्र थे और इसी स्थान पर अपनी इसी बुलेट मोटर साईकिल से जाते हुए 1988 में एक दुर्घटना में उनका निधन हो गया था। स्थानीय लोगों के अनुसार इस स्थान पर हर रोज कोई न कोई वाहन दुर्घटना का शिकार हो जाया करता था। जिस पेड़ के पास ओम सिंह राठौड़ की दुर्घटना घटी, उसी जगह पता नहीं कैसे कई वाहन दुर्घटना का शिकार हो जाते थे।लेकिन जिस दिन से ओम बन्ना का निधन हुआ, यहां पर दुर्घटनाएं होनी बंद हो गईं। बार-बार बुलेट के खुद ब खुद दुर्घटनास्थल पर पहुंचने के बाद उनकी पिताजी ने इसे ओम सिंह की मृत आत्मा की इच्छा समझ कर उसे वहीं पेड़ के पास रखवा दिया। इसके बाद रात में वाहन चालकों को ओम सिंह अक्सर वाहनों को दुर्घटना से बचाने के उपाय करते व चालकों को रात्रि में दुर्घटना से सावधान करते दिखाई देने लगे। वे उस दुर्घटना संभावित जगह तक पहुंचने वाले वाहन को जबरदस्ती रोक देते या धीरे कर देते ताकि उनकी तरह कोई और वाहन चालक असामयिक मौत का शिकार न बने। इसके बाद से वहां पर इस तरह की दुर्घटनाएं लगभग बंद ही हो गईं।